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मित्रता कोई दिखावा नहीं, बल्कि विश्वास का प्रतीक है

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15 May 18
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उदयपुर । भागवत कथा हमें जीवन जीने की कला और मृत्यु के सुखमय होने की कला सिखाती है। भागवत साक्षात कल्प वृक्ष और भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। भागवत कथा हर व्यक्ति को सुननी चाहिए, क्योंकि इसे सुनने से जीवन सार्थक होता है। ये विचार नारायण सेवा संस्थान द्वारा कानपुर में आयोजित संगीतमय ’श्रीमद् भागवत कथा‘ के समापन पर मंगलवार को कथा व्यास डॉ. संजय कृष्ण सलिल ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि विश्वास और दिखावा दो अलग-अलग तर्क हैं। जहां सुख-दुःख बांटा जाए वह विश्वास है। लेकिन किसी के दुःख में शामिल होकर उसे सहयोग की बजाय महज सांत्वना दी जाए तो वह दिखावा है। इसलिए कभी दिखावा न करें। विश्वास किस प्रकार से और कैसे हासिल किया जाए, यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि मित्रता दिखावा नहीं वरन विश्वास की प्रतीक होती है, जो श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच हमें देखने को मिलती है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था और आस्था इंटरनेशनल चैनल पर किया गया। संचालन निरंजन शर्मा ने किया ।

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