GMCH STORIES

सम्मेदशिखर जी की वन्दना से समस्त दुर्गतियों का नाश होता है: आचार्यश्री सुनीलसागरजी

( Read 19786 Times)

13 Jan 18
Share |
Print This Page
सम्मेदशिखर जी की वन्दना से समस्त दुर्गतियों का नाश होता है: आचार्यश्री सुनीलसागरजी उदयपुर। श्री सुनीलसागर चातुर्मास व्यवस्था समिति एवं श्री सन्मति सुनील सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखर यात्रा संघ के संयुक्त तत्वावधान में बीस तीर्थंकरों की पावन मोक्ष भूमि श्री सम्मेदशिखर जी जाने वाले रेल यात्रियों की सात दिवसीय यात्रा शनिवार प्रात: 5.30 बजे उदयपुर सिटी रेल्वे स्टेशन से उनकी रवानगी के साथ ही प्रारम्भ होगी। अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि यात्रा से एक दिन पूर्व शुक्रवार 12 जनवरी को सभी यात्रियों की गाजे- बाजे के साथ भव्य शोभा निकाली गई। प्रात: 8 बजे शोभा यात्रा सेक्टर 11 स्थित अग्रवाल धर्मशाला से प्रारम्भ हुई जो प्रात: 9 बजे सेक्टर 11 स्थित आदनिाथ पहुंची। शोभा यात्रा में शामिल श्रावक लगातार जयकारों के साथ ही भक्ति- भाव में डूब कर नृत्य करते चल रहे थे। आदिनाथ भवन पहुंच कर यहां विराजित आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज को यात्रा संघ की ओर से श्रीफल भेंट कर यात्रा प्रस्थान के लिए निवेदन किया और मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
यात्रा के पुण्यार्जक सुरेश-राज कुमार पदमावत ने बताया कि हुमड़ भवन में हुए चातुर्मास के दौरान श्री सिद्ध चक्र महा मंडल विधान में बैठे श्रावक- श्राविकाओं को सम्मेद शिखरजी तीर्थ यात्रा के लिए आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त हुआ था। यात्रा के दौरान सभी यात्री श्रावकों के लिए समुचित जरूरी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गई है।
13 को 400 यात्री जबकि 14 जनवरी को 211 यात्री रवाना होंगे: पारस चित्तौड़ा ने बताया कि यात्रियों की संख्या बढ़ जाने के कारण यात्रियों के प्रस्थान का समय एक दिन और बढ़ाया गया है। 13 जनवरी को प्रात: 5.30 बजे शहर के सिटी रेल्वे स्टेशन से 400 यात्रियों का पहला जत्था प्रस्थान करेगा जबकि 211 यात्रियों का दूसरा जत्था 14 जनवरी प्रात: 5.30 बजे सिटी रेल्वे स्टेशन से प्रस्थान करेगा। 14 से 18 जनवरी तक वहां पर यात्रा संघ का प्रवास रहेगा। इस दौरान 15 जनवरी को सम्मेद शिखर विधान एवं अन्तिम दिन 18 जनवरी को शांति विधान होगा। इसके बाद इसी दिन सायं 5 बजे माधुपुर रेल्वे स्टेशन से यात्रा संघ की उदयपुर के लिए रवानगी होगी।

सम्मेदशिखर जी की वन्दना से समस्त दुर्गतियों का नाश होता है: आचार्यश्री सुनीलसागरजी
सम्मेद शिखर यात्रियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि बीस तीर्थंकर की सिद्धभूमि शाश्वत तीर्थक्षेत्र सम्मेदशिखरजी का कण कण पावन है। वहाँ अनादि से हर चौबीसी एवं अनंत मुनि मोक्ष को पधारे हैं। कहा जाता है कि एक बार कोई भी इस पावन भूमि का पूर्ण आत्मशुद्धि के साथ वंदना कर ले तो उसकी सारी दुर्गतियों का नाश हो जाता है। पुण्य पवित्र भूमि के निर्मल परिणामों से दर्शन वंदना से सातिशय पुण्य फल मिलता है। जो संघपति बनकर यात्रा करवाता है उसके पुण्य का तो कहना ही क्या। ऐसा धर्म लाभ लेने वाले धर्मात्माओ से आज धर्म जयवन्त है।
आचार्यश्री ने श्रावकों को समझाते हुए कहा कि यात्रा में किसी भी प्रकार का व्यसन का सेवन न हो। पहाड़ पर भी कोई झूठा भोजन, कचरा या प्लस्टिक की थैलियां नहीं फैंके और वहां किसी भी प्रकार की गन्दगी नहीं फैलाये। अनंतानंत सिद्ध प्रभु का स्मरण जाप करते हुए वंदना करें। प्रत्येक टोंक पर चरण वंदना करें। प्रासुक अर्घ चढ़ाए एवं ऊपर की ओर वंदना करे जहाँ सिद्ध प्रभु विराजमान है। अहंकार वश कई बड़े सेठ लोग ऐसा नहंी करते हैं जिससे उन्हें यात्रा वन्छना करने के बाद भी पुण्य फल प्राप्त नहीं होता है। सच्ची भक्ति हो तो गऱीब माँ के चढ़ाए हुए जुवार के दाने भी मोती बन जाते है। यह सच्ची घटना है। इसीलिए अपने साथ श्रद्धा भक्ति का श्रीफल ले जाए ताकि ऐसी मंगल यात्रा हो जिससे संसार यात्रा का अंत हो और मोक्ष मार्ग में गमन हो।
Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Chintan
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like