खेरवाडा मजदूर हक संगठन ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन भेज कर विद्यार्थियों की तरह ही मजदूरों को भी षीघ्र अपने घर तक पहुचाने की व्यवस्था करने, नरेगा के तहत क्षेत्र के समस्त बांधों, तालाबों और नहरों को पक्का कराने तथा खेती किसानी के विकास के लिए काम कराने, लोक डाउन की वजह से बेरोजगार हुये लोगों को गांव मे ही रोजगार देने, खाध सुरक्षा में नाम नहीं होने का बहाना कर राषन नहीं देने वाले राषन डिलरों को पाबन्द करने तथा वार्ड अनुसार सामग्री देने, नरेगा के समस्त मजदूरों को अपने-अपने वार्डों या राजस्व ग्रामों में ही काम व तय मजदूरी २२० रुपये पूरे देने, कोरोना की आड में समुदाय विषेश के विरुद्व अफवाहें फेला कर साम्प्रदायिक रुप देने वालों के खिलाफ कार्यवाही करने, सरकार के आदेषानुसार राषन की दुकान पर तेल, साबुन, दाल, चावल, नमक मिर्ची आदि दिलाने, क्षेत्र में आवष्यकतानुसार सार्वजनिक कुंए, टंकिया, एनिकट बना कर हर खेत में पानी पहुचाने तथा सोर उर्जा का प्लान्ट लगाने की मांग की।
मजदूर हक संगठन के सचिव षान्तिलाल डामोर ने कहा कि क्षेत्र में लोगों के पास छोटी-छोटी खेती है पर सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं होने से लोगों को षहरों, कस्बों और अन्य राज्यों में बहुत ही कम मजदूरी और बिना कानुनी सुविधाओं के गुलामों की तरह काम कराया जाता है।
उन्होने कहा कि सरकार के लोकडाउन में ’’जो जहां है वही रहे, नियोजक मजदूरों के खाने और रहने की व्यवस्था करे‘‘ के आदेष के बावजूद ज्यादातर नियोजक ने मजदूरों को तुरंत इसलिए भगा दिया क्योंकि कार्यस्थल पर मजदूर रहेंगे तो नियोजको न सरकार को जितने मजदूर नियोजित बताये है उससे ज्यादा मजदूर उनके वहां पकडे जायेंगे तो कानुनी देनदारियां बढ जायेगी साथ ही वे मजदूरों का मनमाना दोहन और षोशण नही कर पायेंगे।
डामोर ने कहा कि यह सब रुकना चाहिए।