डेढ़ दशक बाद राजस्थान में नगर निकाय की चुनाव प्रक्रिया बदलने की सुगबुगाहट

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Published on : 18 Oct, 25 02:10

जनता द्वारा सीधे मेयर और चैयरमैन चुनने का फार्मूला लागू करने का है  प्रस्ताव

डेढ़ दशक बाद राजस्थान में नगर निकाय की चुनाव प्रक्रिया बदलने की सुगबुगाहट

राजस्थान के नगरीय विकास मंत्री  झाबर सिंह खर्रा ने दीपावली  से ठीक पहले अपने एक बयान में नगर निकायों में मेयर और चैयरमैन चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव के संकेत देकर प्रदेश के राजनीतिक माहौल में गर्माहट ला दी है। उनका कहना है कि राजस्थान की भाजपा सरकार प्रदेश में एक बार फिर से  जनता द्वारा सीधे निकाय प्रमुखों का चुनाव कराने की संभावनाओं को टटोल रही है। एक राज्य-एक चुनाव के तहत प्रदेश में आगामी वर्ष  होली से पहले अथवा बाद में नगरीय निकायों के चुनाव प्रस्तावित है। 

नगरीय चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है। प्रदेश में पहली बार एक राज्य-एक चुनाव के तहत नगर निकाय के चुनाव होने जा रहे है। 

 

इधर, करीब 16 वर्ष बाद एक बार फिर नगर निकायों के मेयर एवं चैयरमैन चुनाव के फार्मूले में बदलाव की आहट सुनाई पड़ रही है। बताया जाता है कि राज्य सरकार का नगरीय विकास एवं स्वायत्त शासन मंत्रालय नए फार्मूले पर मंथन कर रहा है। यूडीएच में मंथन के बाद दीपावली के पश्चात इस पर कोई निर्णय होने की संभावना है। इससे पहले वर्ष 2006 में प्रदेश में जनता ने सीधे मेयर एवं निकाय प्रमुखों का चुनाव किया था लेकिन इसके बाद चुनाव प्रक्रिया और व्यवस्था में बदलाव किया गया था और पार्षदों को चुनाव का अधिकार दिया गया। चर्चा है कि सरकार नए फार्मूले के लिए प्रदेश के मंत्रियों, विधायकों एवं सांसदों से रायशुमारी कर सुझाव मांग सकती है।

हालांकि राज्य सरकार ने जिन स्थानीय निकायों का  कार्यकाल समाप्त हो चुका है वहां प्रशासक नियुक्त कर दिए है और नगर निकायों में मेयर और चैयरमैन का चुनावी फार्मूला बदलने के मामले में गंभीरता से चिन्तन किया जा रहा है।बताया जा रहा है  कि सरकार और संबंधित विभाग इस पर विस्तार से चर्चा, मंथन और तमाम एंगल से सोच विचार के बाद हो कोई निर्णय लेगी। यदि सरकार की ओर से इस बारे में सकारात्मक निर्णय आता है तो प्रदेश की 309 निकायों में जनता को चैयरपर्सन चुनने का सीधा अधिकार मिल सकेगा। बताया जाता है कि नगर निकाय वार्डो के परिसीमन की प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई है तथा जल्द ही गजट नोटिफिकिशेन जारी हो सकता है। ओबीसी आयोग के आंकडे आने के बाद लॉटरी प्रक्रिया से चुने जाने वाले नगर मुखियाओं  के बारे में स्थिति साफ होगी। यह भी बताया जा रहा है कि चुनावों में शैक्षिक योग्यता को लेकर भी मंथन किया जा रहा है।  राज्य सरकार यदि आगामी वर्ष में होने वाले नगर निकाय चुनाव में मेयर और चैयरमैन के लिए नया चुनावी फार्मूला लागू करती है तो राज्य में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा। नगर पालिका से लेकर नगर निगमों तक में चैयरपर्सन और पार्षदों के बीच टकराव और विरोधाभास पर अंकुश लगेगा। 

नए फार्मूले पर मंथन की सुगबुगाहट ने राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल पैदा कर दी है। कतिपय राजनेताओं का मानना है कि नगर मुखियाओं का सीधे जनता द्वारा चुने जाने  का निर्णय शहरों और महानगरों की तस्वीर बदलने में मील का पत्थर साबित होगा। सरकार जनता द्वारा सीधे मेयर और चैयरमैन चुने जाने के फार्मूले को लागू करें तो जनता भी दिल खोलकर इस निर्णय का स्वागत करेगी।  इससे जनता के वोट की ताकत बढ़ेगी और जनता द्वारा सीधे चुनाव से योग्य, कर्मठ, विकास के विजन को लेकर शहरी तस्वीर बदलने का दमखम रखने वाला व्यक्ति चुन कर आएगा।  शहरी सरकार में चैयरपर्सन का चुनाव पार्षदों द्वारा किए जाने से नगर निकाय का मुखिया दबाव में काम करता है। पार्षदों के दबाव के चलते चैयरपर्सन खुलकर काम नहीं कर पाता और परिणामस्वरूप पांच साल का कार्यकाल खत्म होने तक जनता में नेगेटिव छवि बनने लगती है। नया फार्मूला लागू किया जाएं तो जनता की पसंद का चैयरमैन बागडोर संभालेगा और जनता की उम्मीदों को नई उड़ान देेने हरसंभव प्रयास करेगा। जनता द्वारा सीधे चुनाव से बाहरी और अंदरूनी दबाव समाप्त हो जाएगा और असल मायनों में धरातल पर विकास और नगरीय निकाय से जुड़े काम उतरने लगेंगे।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के प्रदेश समन्वयक एवं पूर्व सभापति के.के. गुप्ता ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि नगर निकाय चुनाव के तहत चैयरपर्सन के चुनाव का फार्मूला सरकार बदलती है तो यह बड़ा और आशातीत बदलाव लाने वाला निर्णय साबित होगा। गुप्ता का कहना है कि स्वच्छ भारत मिशन के प्रदेश समन्वयक होने के नाते उन्होंने प्रदेश की तमाम निकायों का दौरा किया है। नगरीय निकाय के कार्यो के अलावा स्वच्छता जैसे महत्वपूर्ण मिशन का बूरा हश्र है। राजस्थान में कहीं ना कहीं मेयर से विवाद, चैयरमैन निलंबन, अविश्वास जैसे मामले सुनाई देते है। गुप्ता ने कहा कि डूंगरपुर शहरी क्षेत्र को छोडक़र राजस्थान की एक भी निकाय का कार्य संतोषप्रद नहीं है। कोई भी शहर स्वच्छता के मामले में साख नहीं सुधार पाया है। गुप्ता ने साफ शब्दों में प्रतिक्रिया जताई है कि यदि सीधे चुनाव होता है तो ऐसे व्यक्ति का निर्वाचन होगा तो शहर में बदलाव ला सकता है। नए फार्मूले से सच्चे और अच्छे लोग आगे आएंगे और जनता के लिए, जनता के प्रति जवाबदेही तय कर सकेंगे।


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