श्रीगंगानगर। राष्ट्रव्यापी जागरूकता सप्ताह के तहत जिले में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आमजन को कार्डियक अरेस्ट के समय सीपीआर का महत्व बताया जा रहा है। गुरूवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थितजनों को विस्तारपूर्वक कार्डियक अरेस्ट के समय सीपीआर का महत्व बताते हुए प्रशिक्षण दिया गया।
राजकीय जिला चिकित्सालय के निश्चेतन डॉ. राजेन्द्र गर्ग और राजकीय मेडिकल कॉलेज की डॉ. अनिशा गुप्ता द्वारा कार्यक्रम में सीपीआर जागरूकता का प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान बताया गया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सहयोग से सभी चिकित्सा संस्थानां में 13 से 17 अक्टूबर 2025 तक राष्ट्रव्यापी जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक हृदय रोगों, विशेषकर दिल के दौरे के कारण भारत में लगभग एक चौथाई मौतें होती हैं।
उन्होंने बताया कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवन रक्षक तकनीक है, जो दिल का दौरा पड़ने वाले मरीजों के जीवित रहने और उनकी रिकवरी पर गहरा असर डाल सकती है। दिल का दौरा पड़ने के बाद के पहले कुछ मिनट अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय अक्सर हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है या अनियमित हो जाता है, जिसे कार्डियक अरेस्ट कहा जाता है। यह स्थिति जानलेवा होती है और कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क व अन्य महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुँचा सकती है। ऑक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह बनाए रखना जीवन के लिए आवश्यक होता है। विशेष रूप से मस्तिष्क के लिए हर सेकंड कीमती होता है। समय पर की गई तुरंत कार्रवाई से मरीज की जान बचा सकती है।
उन्होंने बताया कि सीपीआर में छाती पर दबाव से रक्त का संचार बना रहता है और रेस्क्यू ब्रीद्स से शरीर में ऑक्सीजन जाती रहती इसमें प्रशिक्षण और अभ्यास आवश्यक हैं ताकि सीपीआर सही और प्रभावी तरीके से किया जा सके। जल्द सीपीआर देने से दिल का दौरा पड़ने के बाद जीवित रहने की संभावना बढ़ती है। सीपीआर रक्त का प्रवाह बनाए रखती है। इससे मस्तिष्क और अन्य अंगों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुँचता रहता है, जिससे जीवित रहने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इससे मस्तिष्क को नुकसान कम होता है। जिन मरीजों को समय पर सीपीआर दिया जाता है, वे लंबे समय में बेहतर रूप से स्वस्थ हो पाते हैं। उनका जीवन स्तर और दिल की कार्यक्षमता बेहतर रहती है।