उदयपुर। विज्ञान समिति उदयपुर के दर्शन विज्ञान प्रकोष्ठ के तहत उपवास-थेरेपी विषय पर एक महत्वपुर्ण विचार गोष्ठि का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विशेषज्ञों ने उपवास की प्राचीन भारतीय परंपरा में महत्ता एवं आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानों के आधार पर उपवास के चिकित्सीय लाभों पर विचार-विमर्श किया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, पैसिफिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. अशोक जेतावत ने उपवास को बीमारियों की रोकथाम और चिकित्सा हेतु एक प्रभावी थेरेपी के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसे अनेक रोगों में उपवास के लाभ वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हो चुके हैं।अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर डॉ. नारायण लाल कछारा ने जैन परंपरा में प्रचलित उपवास के आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक पक्षों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कर्म सिद्धांत के संदर्भ में उपवास के दौरान कर्म-निर्जरा के लाभों को आत्मा की गहन समझ के साथ जोड़ा।
मीडिया प्रभारी प्रोफेसर विमल शर्मा ने इंटर्मिटेंट फास्टिंग (अंतरालिक उपवास) के वैज्ञानिक पहलुओं को उजागर करते हुए बताया कि यह उपवास विधि शरीर के चयापचय (मेटाबोलीस्म) को बेहतर बनाती है, सूजन कम करती है, इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाती है, तथा मस्तिष्क और हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार लाती है, जिससे यह दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है। इस आयोजन ने उपवास को एक बहुआयामी और सम्यक् चिकित्सीय उपाय के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
डॉ. के एल कोठारी, डॉ. पारस मल अग्रवाल, कर्नल डॉ. दलपत सिंह बया, प्रोफेसर प्रेम सुमन, डॉ. के पी तलेसरा, डॉ. आर के गर्ग सहित विभिन्न विद्वानों ने भी उपवास-थेरेपी पर चर्चा में सक्रियता से भाग लिया।