उदयपुर । महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) के कुलगुरु के रूप में, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मेरे नेतृत्व में एमपीयूएटी विश्वविद्यालय नवाचार, सतत उन्नति और वैश्विक मान्यता के केंद्र के रूप में परिवर्तित हो गया है, जिसने भारत में कृषि अनुसंधान, शिक्षा और ग्रामीण विकास पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
मेरा जन्म 9 जुलाई, 1959 को उत्तराखंड में हिमालय की गोद में बसे कुमाऊं क्षेत्र की संस्कृति और विरासत की राजधानी अल्मोड़ा में हुआ, मुझे शिक्षण, अनुसंधान और नेतृत्व में चार दशकों से अधिक की सेवा के साथ एक शिक्षाविद और प्रशासक के रूप में भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (मई 2025 से) के अध्यक्ष के जिम्मेदारी पूर्ण पद पर कार्य करने का जो अवसर मिला है उसके लिए मै व्यक्तिशः संघटन का आभार प्रकट करता हूँ ।
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की इस भक्ति, शक्ति और बलिदान की पावन धरा पर मुझे 15 अक्टूबर 2022 को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी), उदयपुर के कुलपति पद का कार्यभार ग्रहण करने का सुअवसर मिला। इसी के साथ माननीय राज्यपाल महोदय ने फरवरी 2025 से जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर और एमएलएसयू, उदयपुर के कुलगुरु के रूप में अतिरिक्त कार्यभार भी मुझे सोंपा है। इससे पहले, मैंने वीसीएसजी उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय (2019-2022) और दून विश्वविद्यालय (अतिरिक्त प्रभार, 2019-2020) का नेतृत्व किया कुलपति के रूप में किया है।
पुरस्कार एवं सम्मान:
मुझे गर्व है कि अनेक अन्तराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थाओं ने मुझ में अपना विश्वास व्यक्त करते हुए अनेक पुरस्कारों से नवाजा है। जिनमे उत्तराखंड सरकार का "सर्वश्रेष्ठ कुलपति पुरस्कार- 2021", कई आजीवन उपलब्धि पुरस्कार, "डॉ. आर.एस. परोदा पुरस्कार", "डॉ. एस.एल. मिश्रा पदक", "सीएचएआई मानद फैलोशिप", "अमिट प्रबुद्ध मनीषी पुरस्कार" और वर्ष 2025 में "राजस्थान कृषि रत्न पुरस्कार", कृषि कीट विज्ञान में योगदान हेतु "लाइफ़ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार", "राष्ट्रीय कृषि नवाचार रत्न अवार्ड-2025", "उपभोक्ता राष्ट्रीय गोरव सम्मान-2025" और अन्य अनेक सम्मान और पुरस्कार शामिल हैं । इस सम्मान का श्रेय मै आप सभी के अप्रतिम स्नेह और अपने अब तक के सभी सहयोगियों, एमपीयूएटी और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के सभी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, सहयोगी कर्मचारियों और प्यारे विद्यार्थियों के अपने पूरे परिवार को देना चाहूँगा ।
इस अवसर पर मुझे एमपीयूएटी की प्रमुख उपलब्धियों को आप से साझा करते हुए खुशी हो रही है: विश्वविद्यालय में-
1. नवाचार: रचनात्मकता और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ाते हुए 45 नए पेटेंट दायर किए गए।
2. सहयोग: अनुसंधान और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ 33 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
3. हरित ऊर्जा नेतृत्व: सौर ऊर्जा उत्पादन करके सालाना ₹14.6 मिलियन रुपये की बचत की, जिससे स्थायित्व का एक आदर्श स्थापित हुआ।
4. वैश्विक प्रदर्शन: आईसीएआर की पहल के तहत 71 छात्रों और 11 प्रोफेसरों को प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
5. जल प्रबंधन: हिंता गाँव में भारत की पहली जल सहकारी संस्था की स्थापना की, जो समुदाय-आधारित संसाधन प्रबंधन में एक मील का पत्थर साबित हुई है।
6. मिलेट मिशन: भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ द्वारा दी गयी विशेष जिम्मेदारी के दौरान एमपीयूएटी में मिलेट कॉफ़ी टेबल बुक और द मिलेट स्टोरी प्रकाशित की, जिससे संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (2023) के दौरान भारत के मिलेट आंदोलन को वैश्विक गति मिली।
7. स्मार्ट गाँव: एमपीयूएटी ने स्मार्ट विलेज पहल के तहत कई मान्यताएँ अर्जित कीं, जिससे टिकाऊ कृषि के माध्यम से ग्रामीण आजीविका को मज़बूत किया गया।
8. अनुसंधान और गुणवत्ता: रिकॉर्ड अनुसंधान दृश्यता हासिल की गई; सभी कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) और प्रमुख प्रयोगशालाओं को आईएसओ प्रमाणन प्राप्त हुआ, जिससे विस्तार और अनुसंधान में उच्च मानक सुनिश्चित हुए।
9. स्कोपस एच इंडेक्स 83 और गूगल स्कॉलर एच इंडेक्स 97 का सर्वकालिक उच्च स्कोर।
10. शैक्षणिक उत्कृष्टता: उन्नत सुविधाएँ, उन्नत प्रयोगशालाएँ और नवीन किसान-उन्मुख कार्यक्रम। आई.आई.टी., बॉम्बे की भू-स्थानिक पहल में सक्रिय भागीदारी और जागरूकता फैलाने में अनुकरणीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित “सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय पुरस्कार” वर्ष--2024 सम्मान।
11. राष्ट्रीय नेतृत्व: मई 2025 में भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष चुने गए, जिससे एमपीयूएटी को भारत में कृषि शिक्षा और नीति निर्माण में एक प्रमुख भूमिका और प्रतिनिधित्व मिला।
12. हमारे सभी 8 कृषि विज्ञानं केंद्र, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाविद्यालय, भीलवाड़ा व अनेक प्रयोगशालाओं को आई.एस.ओ. 9001:2015 प्रमाणन मिला है ।
13. राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की छठी डीन समिति द्वारा अनुशंसित नए पाठ्यक्रमों को अकादमिक वर्ष 2024-25 से देश मेक सर्व प्रथम लागू किया है।
मैं इन उपलब्धियों को अपने तीन वर्षों के समय के नेतृत्व में एमपीयूएटी की सामूहिक विजय मानता हूँ। हमारे समर्पित संकाय, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, छात्रों और सहयोगियों के अथक प्रयासों ने विश्वविद्यालय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। मै विश्व विध्याल के समस्त परिवार से अपेक्षा करता हूँ कि वे अपने अथक प्रयासों और परिश्रम से विश्वविद्यालय की सतत उन्नति, शैक्षणिक, प्रसार और अनुसन्धान में नवाचारों कि इस अलख ज्योति को और अधिक ऊँचाइयों पर पहुंचाएंगे ।