राजस्थान की राजधानी जयपुर को “पिंक सिटी” कहा जाता है, लेकिन दिवाली के दिनों में यह शहर मानो “गोल्डन सिटी” में तब्दील हो जाता है। यहाँ की सड़कों, चौकों, बाजारों और ऐतिहासिक इमारतों पर इतनी शानदार रोशनी होती है कि पूरा शहर किसी परीकथा की दुनिया जैसा लगने लगता है।जयपुर की दिवाली की इन विशेषताओं के कारण इसे देश की सबसे उत्तम रोशनी का शहर कहा जाने लगा है।
दिवाली पर जयपुर वर्ल्ड फेमस लाइटिंग का नजारा शहर के एमआई रोड, जौहरी बाजार, बापू बाजार, त्रिपोलिया बाजार और चौड़ा रास्ता रंग-बिरंगी लेड लाइटों, झालरों और थीम डेकोरेशन से जगमगाते दिखता हैं। राजसी भवनों की झिलमिलाहट भी अनूठी रहती है।हवा महल, अल्बर्ट हॉल, सिटी पैलेस, अंबर फोर्ट और जलमहल को विशेष रोशनी से सजाया जाता है। रात में ये इमारतें अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं। दीवाली पर जयपुर में नगर निगम द्वारा हर साल दिवाली डेकोरेशन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, जिसमें बाजारों और संस्थानों के बीच सर्वश्रेष्ठ रोशनी का पुरस्कार दिया जाता है।शहर के मंदिरों में दीपदान, आतिशबाजी और भजन-संध्याएँ होती हैं। परिवार और व्यापारी नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत ‘लक्ष्मी पूजन’ से करते हैं। स्थानीय संस्कृति और उत्सव का यह दृश्य नयनाभिराम होता है।दिवाली के दिनों में जयपुर में देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं। यहाँ की रोशनी, मिठाइयाँ, पारंपरिक पहनावे और बाज़ारों की चहल-पहल सबको आकर्षित करती है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। परंतु हर वर्ष जब दीपावली आती है, तब यह शहर मानो रोशनी के समंदर में डूब जाता है। दीपों, झालरों और रंग-बिरंगी रोशनियों से सजा जयपुर उस समय “रोशनी का शहर” कहलाता है। इस अवसर पर इसकी भव्यता ऐसी होती है कि इसे देखने देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं।
दिवाली के दिनों में जयपुर की सुंदरता अपने चरम पर होती है। बाजारों, सड़कों और चौकों पर लाइटिंग की ऐसी सजावट होती है कि पूरा शहर किसी स्वर्गिक लोक का दृश्य प्रस्तुत करता है। एमआई रोड, बापू बाजार, जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, चौड़ा रास्ता और हवा महल के आसपास का क्षेत्र विशेष रूप से सजाया जाता है। नगर निगम हर वर्ष ‘सर्वश्रेष्ठ लाइटिंग प्रतियोगिता’ का आयोजन करता है, जिसमें व्यापारी अपने बाजार को सबसे आकर्षक बनाने की होड़ में जुट जाते हैं।
जयपुर के ऐतिहासिक भवनों जैसे अल्बर्ट हॉल, सिटी पैलेस, जलमहल, अंबर फोर्ट और हवा महल पर विशेष विद्युत सजावट की जाती है। इन पर पड़ती सुनहरी रोशनी न केवल स्थापत्य की सुंदरता बढ़ा देती है बल्कि शहर के गौरवशाली इतिहास की झलक भी दिखाती है। रात में ये भवन दूर से ही चमकते नजर आते हैं और पर्यटकों के लिए अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
दिवाली के अवसर पर जयपुर में धार्मिक उत्सवों की भी भरमार रहती है। मंदिरों में दीपदान किया जाता है, देवी-देवताओं की आराधना होती है और चारों ओर भक्ति का वातावरण व्याप्त हो जाता है। लक्ष्मी पूजन के साथ व्यापारी नए लेखे-जोखे की शुरुआत करते हैं, जिसे ‘मारवाड़ी नया साल’ कहा जाता है। घरों और दुकानों में दीपक जलाए जाते हैं, रंगोली सजाई जाती है और मिठाइयों की सुगंध वातावरण को मधुर बना देती है।
जयपुर की दिवाली केवल रोशनी का उत्सव नहीं, बल्कि एकता, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक भी है। यहाँ के लोग इसे मिल-जुलकर मनाते हैं। हर गली-मोहल्ले में बच्चों की हँसी, आतिशबाजी की चमक और पारिवारिक स्नेह का आलोक दिखाई देता है।
दिवाली के दिनों में जयपुर की पहचान सिर्फ “पिंक सिटी” के रूप में नहीं, बल्कि “गोल्डन सिटी” के रूप में होती है। चमकती सड़कों, जगमगाते भवनों और उत्साह से भरे चेहरों वाला जयपुर उन दिनों सच में एक जीवंत चित्र बन जाता है।
दीपावली के अवसर पर जयपुर का हर कोना प्रकाश और उल्लास से भर उठता है। यह त्योहार न केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि जीवन में प्रेम, करुणा और सच्चाई का दीप सदैव जलाए रखना चाहिए। दिवाली के इन पावन दिनों में जयपुर सचमुच “रोशनी का शहर” बनकर जगमगाता है।
आगामी पांच दिवसीय दीपोत्सव की तैयारियों एवं प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन मुस्तैद है। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने हाल ही दीपोत्सव की व्यापक तैयारियों को लेकर जयपुर के विभिन्न व्यापार मंडलों, बाजार संघों एवं औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट सभागार में समीक्षा बैठक की है । इस बैठक का उद्देश्य जयपुर की दिवाली को पिछले वर्षों के मुकाबले और बेहतर बनाने के साथ कानून व्यवस्था और परिवहन यातायात आदि के माकूल प्रबन्ध सुनिश्चित करना है ।