सहकारिता बेहतर विश्व निर्माण में सहायक’ – नमित मेहता

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Published on : 11 Oct, 25 11:10

सहकारिता बेहतर विश्व निर्माण में सहायक’ – नमित मेहता

उदयपुर: दी उदयपुर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड की 70वीं वार्षिक साधारण सभा 11 अक्टूबर 2025 को राजस्थान कृषि महाविद्यालय सभागार, उदयपुर में आयोजित की गई। सभा की अध्यक्षता बैंक के प्रशासक एवं जिला कलक्टर श्री नमित मेहता ने की।

सभा में अपने उद्घाटन भाषण में श्री मेहता ने कहा कि वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है, जिसकी थीम “सहकारिता एक बेहतर दुनिया का निर्माण करती है” रखी गई है। उन्होंने सभी से सहकारिता के इस उद्देश्य को साकार करने और अंत्योदय के विकास में योगदान देने का आह्वान किया।

सभा का संचालन बैंक की प्रबंध निदेशक डा. मेहजबीन बानो ने किया। उन्होंने एजेन्डावार विभिन्न विषयों पर चर्चा की, जैसे:

  • पिछली सभा की कार्यवाही की पुष्टि (14 सितंबर 2024)

  • 2024-25 के संतुलन पत्र और लाभ-हानि खातों की पुष्टि

  • आॅडिट रिपोर्ट में अंकित आक्षेपों के निराकरण की पुष्टि

  • 2024-25 में स्वीकृत व्ययों और 2025-26 के बजट की स्वीकृति

  • वर्ष 2024-25 की विकास कार्य योजना के अंतर्गत उपलब्धियों की जानकारी

  • 2025-26 के लिए बैंक की अधिकतम बोरइंग सीमा का निर्धारण

सभा में उदयपुर, सलूम्बर, राजसमंद और प्रतापगढ़ जिलों की 300 से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अध्यक्षगण एवं सदस्य उपस्थित रहे। प्रमुख उपस्थितियों में जिला पर्यटन सहकारी समिति के अध्यक्ष श्री प्रमोद सामर, बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्री नारायण सिंह भाटी, सहकारी विभाग से उप-रजिस्ट्रार श्री लोकेश जावेसी, सहायक रजिस्ट्रार श्री ए. पी. बुनकर और बैंक के अधिकारी शामिल थे।

सभा के दौरान उपस्थित अध्यक्षगण ने समिति के व्यवसाय में वृद्धि के लिए सुझाव दिए, जिनमें शामिल हैं:

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पीडीएस लाइसेंस प्राथमिकता से देना

  • खाद आपूर्ति में कमी की समस्या का समाधान

  • व्यवस्थापकों की खाली पदों को भरना

  • नए सदस्यों को ऋण प्रदान करना

  • नवगठित समितियों के कार्यालय भवन और गोदाम के लिए निःशुल्क भूमि आवंटन

प्रबंध निदेशक ने आश्वासन दिया कि सभी सुझावों और समस्याओं का बैंक स्तर पर समाधान किया जाएगा।

सभा में उपस्थित नमित मेहता ने सभी सदस्य समितियों के अध्यक्षों को भरोसा दिलाया कि समितियों की लाभप्रदता और वित्तीय सक्षमता बढ़ाने के लिए प्रशासन एवं राज्य सरकार के स्तर पर सभी आवश्यक प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकिंग ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इसमें पारदर्शिता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

श्री मेहता ने कहा कि तकनीकी नवाचार के माध्यम से समितियां न केवल अपने क्षेत्र की ग्रामीण जनता के उत्थान में योगदान कर सकती हैं, बल्कि अपनी वित्तीय सक्षमता को भी सुदृढ़ कर सकती हैं।


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