भारत ने विश्व को दिखाया लोकतांत्रिक नवाचार, डिजिटल पारदर्शिता और समावेशी शासन का मॉडल*
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली। ब्रिज टाउन (बारबाडोस) में आयोजित 68वें कॉमनवेल्थ संसदीय सम्मेलन (सी पी सी ) में राजस्थान के प्रतिनिधि के रूप में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भाग लिया। “सुशासन, बहुपक्षवाद और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रमंडल की भूमिका” पर राउंड टेबल परिचर्चा में विश्वभर के विधान मंडलों के अध्यक्षो ने लोकतंत्र, पारदर्शिता और वैश्विक सहयोग की दिशा में अपने विचार रखे।
देवनानी ने राउंड टेबल परिचर्चा में कहा कि राष्ट्रमंडल देशों का यह परिवार शक्ति या दबाव से नहीं, बल्कि साझा मूल्यों लोकतंत्र, मानवाधिकार और विधि-शासन से बंधा है। यह विविधता में एकता का सशक्त प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज 56 देशों का यह संघ विश्व के सबसे विविध और प्रभावशाली मंचों में से एक बन गया है, जो लोकतंत्र को सशक्त, संस्थाओं को पारदर्शी और विकास को सहभागी बनाता है।
देवनानी ने कहा कि राष्ट्रमंडल के मिशन के केंद्र में सुशासन है। भारत ने इस दिशा में विश्व को डिजिटल गवर्नेंस और जवाबदेही का अनूठा मॉडल दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की CPGRAMS प्रणाली को राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा ‘स्मार्ट गवर्नेंस’ के वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास के रूप में मान्यता मिलना भारत की पारदर्शी शासन प्रणाली की स्वीकृति है।उन्होंने राउंड टेबल परिचर्चा में उल्लेख किया कि भारत का डिजिटल स्टैक मॉडल नागरिक भागीदारी और सेवा वितरण में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है।
देवनानी ने कहा कि राष्ट्रमंडल एक गतिशील बहुपक्षीय मंच है जो वैश्विक संवाद और साझा कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने कहा कि भारत की भूमिका केवल सहभागी नहीं, बल्कि पथप्रदर्शक की रही है चाहे वह विकासशील देशों के लिए प्रौद्योगिकी साझेदारी की बात हो या कृत्रिम बुद्धिमत्ता और हरित ऊर्जा सहयोग का मार्ग।
भारत की संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष के माध्यम से लगभग 60 देशों में 80 से अधिक परियोजनाओं का समर्थन किया जा रहा है, जिनमें आधे राष्ट्रमंडल से संबंधित हैं।
*राजस्थान का योगदान*
देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की शाखा भारत क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी निभा रही है।यह भागीदारी न केवल संसदीय नवाचार, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण, डिजिटल संसदीय प्रक्रियाओं और युवाओं की भागीदारी को भी आगे बढ़ा रही है। राजस्थान लोकतंत्र की उस मिट्टी से जुड़ा है, जहाँ संवाद ही परंपरा है और पारदर्शिता ही संस्कृति।
देवनानी ने कहा कि जब वैश्विक चुनौतियाँ सीमाओं से परे हैं, तब राष्ट्रमंडल जैसी संस्थाएँ आशा का प्रकाश स्तंभ हैं। भारत और राजस्थान का अनुभव यह दर्शाता है कि डिजिटल लोकतंत्र, पारदर्शिता और सहभागिता से हम एक अधिक न्यायसंगत, समावेशी और टिकाऊ विश्व की रचना कर सकते हैं।