जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर और मीरा पीठ एवं शोध संस्थान की ओर से 'मीरा – भक्ति दर्शन' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अत्यंत गरिमामय वातावरण में किया गया।

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Published on : 08 Oct, 25 07:10

जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर और मीरा पीठ एवं शोध संस्थान की ओर से 'मीरा – भक्ति दर्शन' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन अत्यंत गरिमामय वातावरण में किया गया।

मीरा पीठ के समन्वयक डॉ यज्ञ आमेटा ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर, मुख्य वक्ता के रूप में मीरा शोध पीठ के मानद निदेशक एवं वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. कल्याणसिंह शेखावत तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री हर्ष जैन उपस्थित रहे।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ दीपप्रज्ज्वलन से हुआ। तत्पश्चात् कुलपति प्रो. कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए विषय प्रवर्तन किया। उन्होंने मीरा के भक्ति दर्शन को भारतीय स्त्री चेतना, स्वाभिमान और आध्यात्मिक मुक्ति का प्रतीक बताते हुए कहा कि  “मीरा केवल एक कवयित्री या भक्त नहीं, बल्कि समाज की जड़ परंपराओं के विरुद्ध आत्मस्वर की प्रतीक हैं।”

इस अवसर पर कुलपति प्रो.सारंगदेवोत ने विद्यापीठ परिसर में “मीरा एवं पन्नाधाय भवन” के निर्माण की आधिकारिक घोषणा सभी विद्वानों में उत्साह का स्वरूप बनी ।

 

मुख्य वक्ता प्रो. कल्याणसिंह शेखावत ने “मीरा की जीवनी एवं मेवाड़ की स्त्री चेतना” विषय पर अत्यंत प्रेरक एवं शोधपरक संबोधन दिया। उन्होंने मीरा के जीवन प्रसंगों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि –

“मीरा का जीवन साधना, स्वाभिमान और समर्पण की त्रिवेणी है। उन्होंने समाज की रूढ़ियों को तोड़कर भक्ति को जीवन का शाश्वत धर्म बनाया।”

 

विशिष्ट अतिथि श्री हर्ष जैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए मीरा के भक्ति-पथ को सामाजिक नवजागरण की प्रेरणा बताया। कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने अपने प्रेरणास्पद उद्बोधन में मीरा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि –

“मीरा भारतीय आत्मा की वह ज्योति हैं, जिसने भक्ति को जन-जन तक पहुँचाया। उनके जीवन से हमें नारी चेतना, आत्मगौरव और साधना का अद्वितीय संदेश मिलता है।”

कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद डॉ यज्ञ आमेटा द्वारा किया गया। उन्होंने सभी अतिथियों, विद्वानों एवं प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर प्रो जीवन सिंह खरकवाल, डॉ  मनीष श्रीमाली, डॉ भारत सिंह देवड़ा, डॉ भरत सुखवाल, डॉ गुणबाला आमेटा , डॉ कुलशेखर व्यास, डॉ युवराज सिंह राठौड़, डॉ हीना खान, डॉ नीरू राठौड़ , डॉ चंद्रेश छतलानी, डॉ जय सिंह जोधा, जितेंद्र सिंह चौहान कृष्णकांत कुमावत आदि विद्यापीठ के डीन डायरेक्टर्स व कार्यकर्ता उपस्थित थें।


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