ऑपरेशन जागृति चरण-4 रेंज के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों दी पोक्सो अधिनियम की जानकारी

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Published on : 08 Oct, 25 07:10

बालकों को यौन अपराध से सुरक्षित रखते हुए उनके सम्मान व स्वाभिमान को बनाए रखे-न्यायाधीश महेन्द्र दवे

ऑपरेशन जागृति चरण-4  रेंज के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों दी पोक्सो अधिनियम की जानकारी

उदयपुर :  पुलिस मुख्यालय राजस्थान जयपुर की ओर से संचालित आपॅरेशन जागृति अभियान चरण-4 के तहत उदयपुर रेंज पर श्रीमान महानिरीक्षक पुलिस के निर्देशन में आयोजित साप्ताहिक गतिविधियों के अंतिम दिन मंगलवार को बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों की रेंज स्तरीय कार्यशाला पुलिस लाइन सभागार में आयोजित हुई। कार्यशाला में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 तथा किशोर न्याय अधिनियम-2015 के प्रावधानों की जानकारी देते हुए उदयपुर के कॉमर्शियल कोर्ट के न्यायाधीश महेन्द्र कुमार दवे ने कहा कि समाज में बालकों को यौन अपराध से सुरक्षित रखते हुए उनके सम्मान और स्वाभिमान को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों से संबंधित अनुसंधान प्रक्रियाओं, रिपोर्टिंग तथा विशेष विधिक परिस्थितियों पर प्रशिक्षण दिया। उन्होंने पोक्सों एक्ट और जेजे एक्ट की विभिन्न धाराओं व प्रावधानों की विस्तार से जानकारी देते हुए बालकों से जुड़े मामलों में बाल कल्याण पुलिस अधिकारी की भूमिका एवं उनके दायित्वों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बालकों से जुड़े मामलों में बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों के लिए निर्धारित प्रपत्रों के बारे मे भी बताया। 

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं एडीजे कुलदीप शर्मा ने बालकों से जुड़े प्रकरणों के दौरान पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की प्रकिया, बाल कल्याण समिति एवं जेजे बोर्ड से समन्वय आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बाल अपराध को रोकने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। एडीजे शर्मा ने बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों से बाल अपराध से जुड़े प्रकरणों के निस्तारण के दौरान आने वाली चुनौतियां के बारे में चर्चा करते हुए इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण करने एवं आवश्यक प्रपत्रों का उपयोग करने और बाल कल्याण समिति के समक्ष पीडित बालक को प्रस्तुत करने के दौरान सभी दस्तावेजं पूर्ण होने की बात कही। उदयपुर जिले के महिला अपराध एवं अनुसंधान प्रकोष्ठ के अतिरिक्त पुलिस अधी़क्षक हितेश मेहता ने सभी बाल कल्याण अधिकारियों को न्यायाधीशगण द्वारा दी गई जानकारी का समुचित उपयोग करते हुए बालकों से जुड़े प्रकरणों के समयबद्ध निस्तारण के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी बताया कि बालकों को अपराध से बचाना व उन्हें एवं समुदाय से जुड़े लोगों को जागरूक करना सामुदायिक पुलिसिंग का बेहतर उदाहरण है। उन्होंने समय समय पर ऐसे आयोजनों के माध्यम से अनुभवों का साझा करने हुए कार्यशैली को सुदृढ करने की बात कही। इस अवसर पर चित्तौड़गढ़ जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकेश सांखला, प्रतापगढ जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक़ बलवीर सिंह और बांसवाड़ा जिले के डीवाईएसपी गोविन्द सिंह ने भी अपने अनुभव साझा किए। प्रारंभ में यूनिसेफ की बाल संरक्षण सलाहकार श्रीमती सिंधु बिनुजीत ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए ऑपरेशन जागृति अभियान के तहत आयोजित सप्ताहान्तर्गत की गई गतिविधियों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस दौरान बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर रेंज के सभी जिलों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों सहित कार्यक्रम टीम के दिलीप सालवी व सुनील व्यास उपस्थित रहे।


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