भक्ति और संस्कृति का संगम बना मीरा महोत्सव

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Published on : 07 Oct, 25 04:10

कृष्ण की विरहणी मीरा’ थीम पर दो दिवसीय महोत्सव का आगाज


उदयपुर,भक्ति, कला और संस्कृति का अनुपम संगम लिए 70वें मीरा महोत्सव का सोमवार को शुभारंभ हुआ। मीरा कला मंदिर, सेक्टर-11 स्थित प्रकाश वर्मा ऑडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय महोत्सव का प्रारंभ इस्कॉन मंदिर की भजन मंडली द्वारा भजन संध्या और दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके बाद नारायण गंधर्व ग्रुप ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि सांसद डॉ. मन्नालाल रावत और उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा थे, जबकि अध्यक्षता राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति डॉ. एसएस सारंगदेवोत ने की।

मुख्य वक्ता जयनारायण विश्वविद्यालय जोधपुर के कला शिक्षा समाज विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. कल्याण सिंह शेखावत ने भक्तिमती मीरा के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मीरा ने भक्ति को केवल साधना का नहीं, बल्कि जीवन जीने का मार्ग बनाया। उन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़कर भगवान श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व माना और त्याग, समर्पण तथा आध्यात्मिक साधना के माध्यम से प्रेम व भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। मीरा की विरह वेदना ने उनके काव्य को लोकमानस तक पहुंचाया और उन्हें भक्ति आंदोलन की अमर विभूति बना दिया।

सांस्कृतिक संध्या में गणेश वंदना, लोकनृत्य, कथक, शास्त्रीय नृत्य और मीरा नृत्य नाटिका जैसी प्रस्तुतियों ने समां बांधा। प्रमुख कलाकारों में विजय धांधड़ा, नारायण गंधर्व, उर्मिला, कोमल बारोट, सदाशिव गौतम, सौरभ देल्हवी, रेणु देल्हवी, वीणा डांगी, मनीषा नेगी, गजेंद्र दमामी और राशि माथुर शामिल रहे। भजन गायक देवेंद्र हिरण ने मीरा भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी।

महोत्सव में कला और संगीत क्षेत्र के दिग्गजों को ‘कला पुरोधा प्रकाश वर्मा कला सम्मान’ प्रदान किया गया। मंगलवार को भी शास्त्रीय-सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं और प्रस्तुतियां होंगी तथा समापन समारोह में विजेताओं का सम्मान किया जाएगा। 


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