युवा महोत्सव अनुकरणीय पहल

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Published on : 06 Oct, 25 04:10

 युवा महोत्सव अनुकरणीय पहल

कोटा  / बच्चों और युवाओं में संस्कृति और विज्ञान के प्रति समझ पैदा करने के किए राजस्थान युवा बोर्ड (युवा मामले एंव खेल विभाग, राज. सरकार) द्वारा युवा महोत्सव के आयोजन की श्रेष्ठ परम्परा प्रारंभ की है। बच्चें और युवा चाहे वे विद्यार्थी न भी हो इस आयोजन से जुड़ सकेंगे। हर वर्ष यह कार्यक्रम ब्लॉक, जिला और संभाग स्तर पर आयोजित किया जाता है।
       बच्चें कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिनको जिस सांचे में ढालों ढल जाते है। इस आयोजन से बच्चे अपनी संस्कृति से परिचित होंगे और आधुनिक विज्ञान की तकनीक भी जानेंगे।
       मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कोटा शहर स्नेह लता से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया यह कार्यक्रम 20 अक्टूबर से पूर्व आयोजित किया जाएगा। शहर के सभी निजी और सरकारी विद्यालयों को इसकी तैयारी करने को कहा गया है।
      उन्होंने बताया कि युवा महोत्सव ऑन लाइन आयोजित होगा जिसमें पूर्व रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवाय होगा। इस उत्सव में 15 से 29 आयु वर्ग तक सभी महाविद्यालयों/विद्यालयों एंव गैर घ्ययनरत छात्र/छात्राऐं तथा अन्य युवा भाग के सकते हैं और उन्हें राजस्थान युवा बोर्ड पोर्टल पर एंव My Bharat Portal पर ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा।
     युवा महोत्सव में कहानी लेखन, चित्रकला ,लोक नृत्य,लोक गीत,कविता लेखन,नवाचार विज्ञान मेला, लुप्त होती लुप्त कला जैसे फड, रावण हत्था, रम्मत, अलगोजा, माण्डणा, लांघामॉगणीहार, कठपुती, खड़ताल मोरचंग, भंपग आदी प्रतियोगिताएँ आयोजित की जायेगी। कोटा शहर ब्लाक की तरह राज्य के समस्त जिला मुख्यालयों पर युवा उत्सव मनाया जाएगा।
     युवाओं में इस आयोजन से राष्ट्रीय एकता और सद्भाव बढ़ेगा,भाईचारे की भावना को बल मिलेगा, कला संस्कृति और प्रौद्योगिकी में नवाचारों को बल मिलेगा, लुप्त हो रही सांस्कृतिक के संरक्षण में मदद मिलेगी तथा एक साझा मंच पर युवाओं को अपनी प्रतिभा और कौशल सामने लाने का अवसर प्राप्त होगा।
      निसंदेह राजस्थान सरकार का यह प्रयास बच्चों को चिंतन - मनन की नई दिशा प्रदान करेगा। कोटा शहर ब्लॉक में इस कार्यक्रम को सफलतम बनाने के प्रयास में लगी हैं स्नेह लता जी। 
    उल्लेखनीय है कि कोटा और हाड़ोती अंचल में राजस्थान सरकार में सूचना एवं जन संपर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल बच्चों में साहित्य, संस्कृति, पर्यटन आदि से जोड़ने के लिए दो वर्षों से निजी स्तर पर साहित्यकारों, शिक्षकों और साहित्यिक संस्थाओं का सहयोग प्राप्त कर " बाल साहित्य मेलों" का आयोजन कर रहे हैं। स्कूलों से साहित्य की नर्सरी तैयार हो रही है। आज कई बच्चें साहित्य से जुड़ कर कहानियां और कविताएं लिखने लगे हैं और बाल साहित्य मेले में अपनी रचनाएं सुनाते हैं। अपनी समझ और जान बढ़ा रहे हैं। इस वर्ष इस कार्यक्रम का नाम " मिशन बाल मन यह" दिया गया है। निजी स्तर पर साधन और सुविधाएं भी कम होती हैं, फिर भी प्रयास जारी है। बड़े साहित्यकारों से बाल साहित्य लेखन भी करवाया जा रहा है। दो वर्ष के अल्प समय के परिणाम सब के सामने हैं और प्रदेश भर में इसकी चर्चा है।
  आवश्यकता है साहित्यकार और शिक्षक इस दिशा ने आगे आ कर स्वयं पहल करें।
   
 


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