अमृतांजलि आयुर्वेद का श्रीलंका में विस्तार*

( 32415 बार पढ़ी गयी)
Published on : 03 Oct, 25 12:10

भारतीय औषधीय खेती को वैश्विक ऊँचाइयों तक ले जाने की ऐतिहासिक पहल*

*उदयपुर,कृषि और हर्बल खेती के क्षेत्र में दो दशकों से अधिक की समृद्ध परंपरा रखने वाली अमृतांजलि आयुर्वेद ने अंचल के किसानों को सशक्त बनाने और औषधीय फसलों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ा है। कंपनी ने भारत की सीमाओं से बाहर कदम बढ़ाते हुए अब श्रीलंका के बाजार में औपचारिक प्रवेश किया है।

 

यह विस्तार भारतीय औषधीय खेती की शक्ति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने के साथ-साथ किसानों को प्रत्यक्ष रूप से वैश्विक खरीदारों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके माध्यम से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली औषधीय और हर्बल फसलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थायी और लाभकारी आय प्राप्त होगी।

 

*रणनीतिक सहयोग : समर ऑर्गेनिक्स के साथ साझेदारी*

 

अमृतांजलि आयुर्वेद की निदेशक सरोज पाटीदार ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय विस्तार समर ऑर्गेनिक्स के साथ रणनीतिक सहयोग के माध्यम से संभव हुआ है। ऑर्गेनिक और हर्बल क्षेत्र में अपनी विश्वसनीय पहचान रखने वाली समर ऑर्गेनिक्स के साथ यह साझेदारी एक ऐसे सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगी, जो प्राकृतिक और शुद्ध औषधीय उत्पादों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करेगा। इसके साथ ही यह किसानों की आय में वृद्धि कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा तथा पर्यावरणीय दृष्टि से टिकाऊ और सुरक्षित खेती को प्रोत्साहन देगा।

 

*भारतीय परंपरा की वैश्विक पहचान*

 

संदीप पाटीदार ने बताया कि अमृतांजलि आयुर्वेद का श्रीलंका विस्तार केवल व्यावसायिक पहल नहीं है, बल्कि यह भारतीय किसानों की मेहनत, आयुर्वेद की प्राचीन परंपरा और भारत की कृषि शक्ति को वैश्विक मंच पर स्थापित करने का प्रतीक है। 

उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि अमृतांजलि आयुर्वेद के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारतीय कृषि और हर्बल क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है, जो आने वाले समय में भारतीय औषधीय उत्पादों की वैश्विक मांग और स्वीकार्यता को और बढ़ावा देगा ।

 

*वर्जन :*

श्रीमती सरोज पाटीदार और  संदीप पाटीदार, निदेशक, अमृतांजलि आयुर्वेद ने संयुक्त रूप से कहा—

 

"भारत सदियों से औषधीय पौधों और आयुर्वेद की धरोहर का संरक्षक रहा है। हमारा लक्ष्य केवल व्यापार करना नहीं, बल्कि किसानों को वैश्विक अवसरों से जोड़ना और उनकी मेहनत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाना है। श्रीलंका में यह विस्तार इसी दृष्टि की ओर एक सशक्त कदम है। हमें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में भारत औषधीय और हर्बल खेती के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेगा।"


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.