राजस्थान में मानसून की विदाई ने भी राज्य को पानी से तर बतर कर दिया है। प्रदेश में जाता मानसून आसमान से मेहर बरसा रहा है और कई जिलों में बारिश देखने को मिली है। इसी बीच जल संसाधन विभाग ने अगले 24 घंटे के दौरान बारिश का आंकड़ा जारी किया है। प्रदेश में 6 स्थान पर 1 इंच से अधिक बारिश दर्ज की गई है।
जिसमें जयपुर जिले में बारिश का जोर रहा. जयपुर जिले के दूदू 45 मिमी, जोबनेर में 35 और जालसू में 28 मिमी बारिश दर्ज की गई है। नागौर की मेड़ता सिटी में 38 मिमी बारिश दर्ज की गई. प्रदेश में 41 स्थान पर बारिश दर्ज की गई।
मूसलाधार बारिश ने इस बार रावण दहन समारोह को भी फीका कर दिया। जयपुर में दशानन पानी-पानी हो गया। जयपुर में तेज बारिश के चलते जला नहीं रावण गल गया। राजधानी में झमाझम बारिश ने रावण दहन कार्यक्रम बिगाड़ दिया है।टोंक रोड, गोपालपुरा, रिद्धि-सिद्धि, सांगानेर, टोंक फाटक, सहकार मार्ग समेत शहरभर में झमाझम, तेज बारिश हो रही है. रावण दहन देखने निकले बच्चों के हाथ निराशा लगी है।
लोगों के सामने जलते रावण की जगह गलते रावण को देखने की मजबूरी रही। रावण दहन के बड़े-बड़े आयोजनों को बारिश ने बिगाड़ दिया। बारिश के चलते न पर्याप्त भीड़ जुटी, ना ही मनमुताबिक कार्यक्रम हुए।
राजस्थान में दशहरा पर्व सदियों से धार्मिक आस्था, परंपरा और लोक-उत्सव का अद्भुत संगम रहा है। विजयादशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर हर छोटे-बड़े कस्बे और नगर में हजारों की भीड़ जुटती है। आतिशबाज़ी, पटाखे और जयकारों के बीच दशानन का दहन लोगों को रोमांचित कर देता है। परंतु इस वर्ष का दशहरा राजस्थानवासियों के लिए कुछ अलग ही अनुभव लेकर आया। मूसलाधार बारिश ने दशानन के उत्सव को पानी-पानी कर दिया।
दशहरा मैदानों में जहाँ लोग घंटों पहले से जमा थे, अचानक तेज वर्षा ने सभी को चौंका दिया। देखते ही देखते दशानन के ऊँचे-ऊँचे पुतले भीगकर ढीले पड़ गए। आतिशबाज़ी और बारूद गीले होने से रावण का दहन सुचारू रूप से नहीं हो सका। कई स्थानों पर तो दशानन आधा जला और आधा भीगकर रह गया। आयोजकों को मजबूरी में प्रतीकात्मक अग्नि लगाकर पुतलों का अंत करना पड़ा।
इस अनहोनी से सबसे अधिक निराश दर्शक हुए। बच्चे और महिलाएँ जो उत्साह से दशहरा देखने पहुँचे थे, बारिश में भीगते-भागते सुरक्षित स्थानों की ओर बढ़े। फिर भी, भीगते हुए लोग मैदान में डटे रहे ताकि दशानन का अंत देख सकें। कई परिवारों ने कहा कि चाहे बारिश हो या आँधी, वे रावण दहन की परंपरा से पीछे नहीं हटेंगे।बारिश ने आयोजन की भव्यता को कम किया, लेकिन लोगों की आस्था को नहीं। जयकारे गूँजते रहे और राम की विजय का संदेश सभी ने हृदय से ग्रहण किया। यही दर्शाता है कि यह पर्व केवल पुतला दहन का नहीं, बल्कि सत्य की शक्ति और असत्य पर विजय का संदेश देने का अवसर है।
इस घटना ने आयोजकों को यह सीख दी कि मौसम की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए बेहतर प्रबंधन करना होगा। पुतला निर्माण में जलरोधी सामग्री का उपयोग, आतिशबाज़ी की सुरक्षित व्यवस्था और वैकल्पिक योजनाएँ भविष्य में अपनानी होंगी। हालांकि राजस्थान में मूसलाधार बारिश ने दशहरा उत्सव में दशानन को पानी-पानी कर दिया। भले ही पुतले अधूरे जले हों, लेकिन राम की विजय और बुराई के अंत का संदेश उतनी ही ताकत से हर दिल में गूँजा। यही इस पर्व का असली सार है, जो किसी भी परिस्थिति से कम नहीं हो सकता।