पारस हेल्थ उदयपुर ने रोटेटर कफ सर्जरी में रीजनरेटिव तकनीक के साथ सफलता हासिल की

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Published on : 01 Oct, 25 14:10

इस नई बायो-इंडक्टिव रीजनरेटिव तकनीक से कमजोर टेंडन को मजबूत किया जाता है, दोबारा चोट लगने का खतरा कम होता है, और बुज़ुर्ग मरीज़ चलने फिरने के काबिल बन पाते हैं।

पारस हेल्थ उदयपुर ने रोटेटर कफ सर्जरी में रीजनरेटिव तकनीक के साथ सफलता हासिल की

उदयपुर: पारस हेल्थ उदयपुर ने आर्थोपेडिक केयर और आर्थोस्कोपिक सर्जरी में एक नई उपलब्धि हासिल की है। हॉस्पिटल ने उदयपुर में पहली बार कंधे की एडवांस सर्जरी एक खास रीजनरेटिव बायो इंडक्टिव तकनीक से की है। इस सर्जरी में फटे हुए कंधे के रोटेटर कफ़ टेंडन को बायो-इंडक्टिव (REGENTEN) कोलेजन पैच से ठीक किया गया। यह तकनीक जल्दी और बेहतर ठीक होने में मदद करती है और लंबे समय तक आराम और हिलने-डुलने की क्षमता वापस लाती है।

रोटेटर कफ कंधे की कुछ खास मांसपेशियों का समूह होता है। इसे कंधे पॉवरहाउस भी कहा जाता है। यह मांसपेशियाँ कंधे को आसानी और बिना दर्द के हिलाने में मदद करती हैं। जब इनमें चोट लगती या यह फटता है, तो लगातार दर्द और कंधा हिलाने में दिक्कत होती है। यह समस्या मेडिकल भाषा में रोटेटर कफ आर्थरॉपैथी कहलाती है। अगर चोट हल्की हो (जैसे आंशिक फटाव या सूजन), तो दवाओं, PRP थेरेपी और फिजियोथेरेपी से आराम मिल सकता है। लेकिन जब चोट ज्यादा हो खासकर खिलाड़ियों या ऐसे मरीज़ों में जिनकी मांसपेशियाँ ज़्यादा क्षतिग्रस्त हों तो सर्जरी जरूरी हो जाती है। हालांकि पारंपरिक सर्जरी से हमेशा पूरी तरह फायदा नहीं होता, खासकर जब टिशू (ऊतक) कमजोर होते हैं। इसलिए ऑग्मेंटेशन (अतिरिक्त सहारा देना) ज़रूरी हो जाता है, ताकि मांसपेशियाँ मजबूत बनें और फिर से ठीक हो सकें।

हाल ही में आए एक केस में एक मरीज़ को लगातार कंधे में दर्द और कंधा हिलाने-डुलाने में परेशानी हो रही थी। दवाओं और फिजियोथेरेपी से भी यह दर्द ठीक नहीं हो रहा था। इस मरीज़ का इलाज पारस हेल्थ उदयपुर के ऑर्थोपेडिक्स विभाग में किया गया। इलाज़ का नेतृत्व डॉ. राहुल खन्ना, सीनियर कंसल्टेंट – आर्थ्रोस्कोपी और स्पोर्ट्स मेडिसिन ने किया। पूरी जांच करने के बाद डॉ. खन्ना और उनकी टीम ने मरीज़ की सुप्रास्पिनेटस टेंडन की आर्थ्रोस्कोपिक (डबल-रो) सर्जरी की और इसके साथ बायो-इंडक्टिव कोलेजन पैच (REGENTEN) का उपयोग करके ऑग्मेंटेशन किया। इस तकनीक से टेंडन मजबूत और मोटा होता है, जिससे दोबारा फटने की संभावना काफी कम हो जाती है। साथ ही दोबारा सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ती और कंधे की मूवमेंट और कामकाज बेहतर हो जाते हैं।

डॉ. राहुल खन्ना, सीनियर कंसल्टेंट – आर्थ्रोस्कोपी और स्पोर्ट्स मेडिसिन ने इसके बारे में बताते हुए कहा, “यह नई रीजनरेटिव तकनीक आर्थ्रोस्कोपिक कंधे की सर्जरी में एक बड़ी प्रगति है। यह न केवल खिलाड़ियों बल्कि उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जिनके कंधे की मूवमेंट नहीं हो पाती है। यह तकनीक टेंडन को बेहतर तरीके से ठीक करती है और मरीज़ों को फिर से सक्रिय जीवन जीने का मौका देती है। हमारा लक्ष्य है कि मरीज़ों की कंधे की मूवमेंट स्वस्थ व्यक्ति के कंधे की तरह बनाया जाए और उन्हें रोजमर्रा के कामों में फिर से आत्मनिर्भर बनाएं।”

डॉ. प्रसुन कुमार, फैसिलिटी डायरेक्टर, पारस हेल्थ उदयपुर ने इस तकनीक के बारे में बताते हुए कहा, "इस तरह की आधुनिक तकनीकें लाना हमारे हॉस्पिटल की प्रतिबद्धता को दिखाता है कि हम हड्डियों और स्पोर्ट्स मेडिसिन के क्षेत्र में विश्वस्तरीय इलाज देना चाहते हैं। यह सर्जरी यह साबित करती है कि कम से कम चीरे वाली (मिनिमली इनवेसिव) तकनीकों से मरीज़ जल्दी ठीक हो सकते हैं और बेहतर जीवन जी सकते हैं।”

एक्सपर्ट्स का कहना है कि रोटेटर कफ की चोट में समय पर पहचान और इलाज बहुत जरूरी है। अगर किसी को लगातार कंधे में दर्द, कमज़ोरी, या कंधा हिलाने-डुलाने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। जल्दी इलाज कराने से लंबे समय के दर्द और कंधे की स्थायी डैमेज से बचा जा सकता है।


उदयपुर में पहली बार हुई इस तरह की सर्जरी होना यह दिखाती है कि पारस हेल्थ उदयपुर स्थानीय मरीज़ों को एडवांस्ड आर्थोपेडिक केयर देने के लिए पूरी तरह समर्पित है। यह सर्जरी क्षेत्र में इनोवेटिव इलाज और तेज़ रिकवरी के लिए एक नई मिसाल पेश करती है।


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