उदयपुर, विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भाषा ही संस्कृति की रीढ़ होती है। इसे बचाकर ही संस्कृति बचाई जा सकती है। विभाजन के समय पाकिस्तान के सिंध से आए सिंधीभाषियों को अपनी भाषा पर विशेष ध्यान देना चाहिए। नई पीढ़ी को इस भाषा को आत्मसात करना चाहिए जिससे सिंधी संस्कृति व सभ्यता अपने आप ही जीवित रह जाएगी। शनिवार को सुखाड़िया रंगमंच सभागार में राजस्थान सिंधी अकादमी और झूलेलाल सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में अतिथि के तौर पर बोलते हुए देवनानी ने यह बात कही।
अपने उद्बोधन में देवनानी ने कहा कि वे स्वयं सिंधी है और उन्हे सिंधी होने पर गर्व है। सिंधी भाषा विश्व की समृद्ध भाषाओं में से एक है। इसमें 52 वर्ण है जो इसकी समृद्धता को दर्शाते हैं। सिंधी भाषा में विपुल साहित्य रचे जाने की आवश्यकता जताते हुए उन्होने कहा कि सिंधी संस्कृति को बचाने के लिए नई पीढ़ी को इस भाषा को विशेष रूप से अपनाना चाहिए। उन्होने कहा कि विभाजन के समय सिंध के वासी इस देश में सिर्फ अपनी भाषा और संस्कृति के साथ आए थे। वे जहां भी बसे, अपनी मेहनत के बल पर अलग मुकाम हासिल किया। कार्यक्रम में सिंधी गीत, नृत्य, संगीत, नाट्य मंचन आदि प्रस्तुतियां हुई। समाज की ओर से देवनानी का विशेष सम्मान किया गया। इस अवसर पर समाज के हरीश राजानी, विजय आहुजा एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
बनेगी विभाजन विभीषिका गेलेरी
देवनानी ने कहा कि सिंधी समाज ने विभाजन का दंश झेला है। देश के बंटवारे के बाद अपना सबकुछ छोड़कर खाली हाथ आने वाले इस समाज पर पाकिस्तान में हुए अत्याचारों, संघर्ष और जिजीविषा को दर्शाने वाली विभाजान विभीषिका गेलेरी अजमेर में बनाई जा रही है। इस गेलेरी समाज की भाषा, सभ्यता और संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी।