उदयपुर।"पधारो म्हारे देश" की परंपरा से समृद्ध उदयपुर आज एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। एक ओर पर्यटन और संस्कृति की चमक है, तो दूसरी ओर स्थानीय व्यापार और रोजगार डार्क स्टोर्स की बढ़ती पैठ से संकट में है। इस चुनौती का समाधान खोजने और लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से मेवाड़ बचाओ मंच का गठन किया गया है।
मंच के संस्थापक अध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी और प्रथम सांसद बलवंत सिंह मेहता के विचारों से प्रेरणा लेकर मंच की स्थापना की गई है। वर्तमान कार्यकारिणी में मयंक जानी उपाध्यक्ष, दीपेष शर्मा सचिव, डॉ. शिखा दोषी, चिराग मेघवाल और निधि गुप्ता उपसचिव के रूप में कार्यरत हैं। मंच का विस्तार आगे और भी स्तरों पर किया जाएगा।
पहली मुहिम : "उदयपुर का पैसा उदयपुर में"
मंच की पहली पहल स्थानीय व्यापारियों के हितों को लेकर है। पांडेय ने बताया कि इंस्टेंट डिलीवरी कंपनियों और उनके डार्क स्टोर्स ने उदयपुर के लगभग 30 प्रतिशत स्थानीय रोजगार को प्रभावित किया है। सब्जी, परचून, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर प्रिंट आउट जैसी छोटी-छोटी सेवाएँ भी अब डार्क स्टोर्स से सीधे ग्राहकों तक पहुँच रही हैं। इससे किसान, थोक व्यापारी, फुटकर दुकानदार और डिलीवरी बॉय जैसे पारंपरिक रोजगार प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह प्रवृत्ति ऐसे ही बढ़ती रही तो शहर की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर गहरा संकट आ जाएगा। किराये का बाजार ठप होगा, छोटे दुकानदार बंद हो जाएंगे और हजारों परिवार बेरोजगारी से जूझेंगे।
डार्क स्टोर्स का असली जाल
कंपनियाँ ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए ऑफर देती हैं, लेकिन असलियत में हर ऑर्डर पर 30–40 प्रतिशत अधिक भुगतान करना पड़ता है। "मिनिमम ऑर्डर", "सर्ज चार्ज" और "हैंडलिंग फीस" के नाम पर अतिरिक्त बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाता है। सिर्फ हैंडलिंग चार्ज ही हर ऑर्डर में 10–12 रुपये होता है।
पांडेय के शब्दों में, "यह केवल आर्थिक संकट नहीं, बल्कि उदयपुर की आत्मा पर चोट है।"
तीन चरणों की रणनीति
मेवाड़ बचाओ मंच की यह मुहिम तीन चरणों में चलेगी—
व्यापारियों में जागरूकता
जनता में जागरूकता
स्थायी समाधान की दिशा में प्रयास
इसके तहत मंच के सदस्य शहर के चौराहों, मार्केट्स और पर्यटन स्थलों पर जाकर लोगों से बातचीत करेंगे, सुझाव लेंगे और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएँगे। मंच ने अपना हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है ताकि आमजन सीधे उनसे संपर्क कर सकें।
सामाजिक सरोकार भी जुड़ेंगे साथ
मंच की गतिविधियाँ केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेंगी। इसमें सीनियर सिटीजन की सुरक्षा, शिक्षा, डिजिटल अवेयरनेस, महिला रोजगार, सफाई और हृदय रोग जागरूकता जैसे मुद्दों को भी जोड़ा गया है।
अभियान का नारा साफ है :
"इस दिवाली, उदयपुर का पैसा उदयपुर में।"