प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार 25 सितम्बर को मध्यप्रदेश और गुजरात से सटे दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल बांसवाड़ा जिले में 45 हजार करोड़ रु की लागत से बनने वाली 2800 मेगावाट क्षमता वाली महत्वाकांक्षी परमाणु बिजली घर परियोजना की आधारशिला रखने पधार रहे है। यह महती परियोजना बांसवाड़ा-रतलाम (मध्यप्रदेश) मार्ग पर दानपुर और छोटी सरवन के पास नापला गांव में बन रही है। राजस्थान में चितौड़गढ़ की रावतभाटा परमाणु बिजली घर के बाद यह दूसरी परमाणु बिजली घर परियोजना होगी जोकि दक्षिणी राजस्थान को न्यूक्लियर पॉवर प्लांट से बिजली उत्पादन का हब बनाएगी। इस परियोजना से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासी अंचल में नए रोजगार और विकास के नए युग का सूत्रपात होने जा रहा है। बांसवाड़ा में माही बजाज सागर अंतर्राज्यीय बहुउद्देशीय परियोजना के बाद दक्षिणी राजस्थान की यह सबसे बड़ी परियोजना है। रावतभाटा परमाणु बिजली घर परियोजना चंबल नदी पर स्थित है जबकि बांसवाड़ा की परमाणु बिजली घर परियोजना माही नदी पर बनेगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांसवाड़ा में परमाणु बिजली घर परियोजना के शिलान्यास समारोह में एक लाख आठ हजार करोड़ रु की विकास योजनाओं की सौगात भी देंगे और मंच से 15 हजार युवाओं को नौकरी के नियुक्ति पत्र सुपुर्द करेंगे। साथ ही बीकानेर और जोधपुर से दिल्ली तक वन्दे भारत ट्रेन तथा उदयपुर से चंडीगढ़ के मध्य सीधी रेल सेवा का वर्चुअल ढंग से शुभारंभ करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करीब ढ़ाई वर्षों के बाद इस अंचल की यात्रा पर आ रहे है। इसके पूर्व वे अपने दूसरे प्रधानमंत्री कार्यकाल में राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम आएं थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस आदिवासी अंचल की यात्रा से देश के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान के साथ ही दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल और विकास की दृष्टि से पिछड़े वागड़ अंचल के नागरिकों को भी कई जन अपेक्षाएं है। हालांकि शिलान्यास समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समक्ष सम्पूर्ण राजस्थान और वागड़ अंचल की प्रमुख समस्याओं और विकास की संभावनाओं तथा राज्य की विभिन्न परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त केन्द्रीय सहायता की मांग रख सकते है, फिर भी इस वागड़ अंचल के लोगों के मन में प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा से बहुत उम्मीदें है।
वैसे तो बांसवाड़ा में माही गंगा लाने वाले भागीरथ माने जाने वाले राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय हरिदेव जोशी ने इस अंचल के विकास में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी जिसके फलस्वरूप आज माही बांध से इस आदिवासी इलाके की 1.75 लाख हेक्टेयर उपजाऊ भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो रही है तथा दो माही जल विद्युत प्रोजेक्ट्स से बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है लेकिन स्वर्गीय हरिदेव जोशी के कई सपने अभी भी अधूरे है जिनमें से एक न्यूक्लियर पॉवर प्रॉजेक्ट प्लान्ट की स्थापना का सपना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरा करने जा रहे है परन्तु बांसवाड़ा में रेल लाने का उनका सपना आज भी पूरा होना शेष है। राजस्थान में बांसवाड़ा ही एक मात्र ऐसा जिला है जिसके किसी भी कौने से आजादी के 78 साल के बाद भी रेल लाईन नहीं गुजरती है। हालांकि न्यूक्लियर पॉवर प्रॉजेक्ट आने के साथ ही एक नई उम्मीद जगी है तथा कहा जा रहा है कि अब रतलाम- बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेल परियोजना के कार्य को गति मिलेगी। साथ ही निकट भविष्य में बांसवाड़ा के रेल सुविधा से जुड़ने का सपना भी साकार होने वाला है। जानकारों का कहना है कि न्यूक्लियर पॉवर प्रॉजेक्ट के लिए रतलाम से बांसवाड़ा तक पृथक डेडीकेटेड रेल प्रोजेक्ट भी बन सकता है क्योंकि इतने बड़े प्रॉजेक्ट के लिए यह एक प्रकार से प्रथम आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डूंगरपुर - बांसवाड़ा- रतलाम रेल परियोजना के बन्द पड़े कार्य को पुनः शुरू कराया है। वहीं नीमच – बांसवाड़ा – दाहोद – नंदुरबार की वडोदरा को जोड़ने वाली नई रेललाइन के सर्वेक्षण की मंजूरी भी प्रदान की है जिससे दिल्ली और मुम्बई की दूरी सबसे कम हो जाएगी। साथ ही मध्य प्रदेश राजस्थान और गुजरात तीन प्रदेशों के आदिवासी अंचल पूरे देश के रेल नेटवर्क से सीधे जुड़ जाएंगे।
वागड़ वासियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह उम्मीद भी है कि माही परियोजना के शेष कार्य जैसे कि बांसवाडा में दो और हाइड्रो जल विद्युत बिजली घर और माही का सिंचाई पानी पूरे बांसवाड़ा और डूंगरपुर तथा उदयपुर संभाग के शेष असिंचित क्षेत्रों तक नई नहरों के नेटवर्क बिछाने से पहुंचेगा ताकि प्रायः सूखा और अकाल प्रभावित इस अंचल की भूमि सरसब्ज हो सके। अभी भीखाभाई नहर परियोजना पूरी तरह से सीरे पर नहीं चढ़ी है।
माही परियोजना के बेक वाटर में पानी का अथाह समुद्र है। यदि यहां मत्स्य पालन का काम शुरू करवाया जाए तो आदिवासियों का रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में पलायन रुक सकता है। देश की राजधानी नई दिल्ली और अन्य महानगरों के पांच सितारा होटलों में आज भी माही ब्रांड नेम से देशी विदेशी पर्यटकों को मछली परोसी जाती है। माही के साथ इस अंचल में सोम कमला आंबा और सोमकागदर बांध तथा एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक जय समन्द झील भी जहां बड़े पैमाने पर मत्स्य पालन का सरकारी स्तर पर एवं सहकारी समितियों के माध्यम से कारोबार किया जा सकता है जो कि आदिवासियों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बना सकता है।
सिंचाई,बिजली,कृषि और मत्स्य पालन के साथ ही पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो इस अंचल की कीर्ति को सात समुद्र पार ले जाने की क्षमता रखता है। माही बांध के बेक वाटर में सौ से अधिक टापू है जो केरल के वेक वाटर टूरिज्म की तर्ज पर इस अंचल को एक बड़ा बूम दे सकते है। बांसवाड़ा को ए सिटी ऑफ हड्रेड आईलैंड भी कहा जाता है। बांसवाड़ा,डूंगरपुर,सलूंबर,उदयपुर प्रतापगढ़ आदि जिलों में छठी से ग्यारहवीं शताब्दी तक के पुरातत्व महत्व के कई प्राचीन स्थल है। साथ ही रामायण और महाभारत कालीन अर्वाचीन स्थान भी है। सुप्रसिद्ध शक्ति पीठ त्रिपुरा सुन्दरी तथा आदिवासियों का कुंभ बेणेश्वर धाम के साथ ही यहां दाउदी बोहरा समुदाय का मक्का मदीना माने जाने वाली डूंगरपुर जिले की गलियाकोट दरगाह भी इसी अंचल में है। वागड़ के शासक महारावल वीर शिरोमणि मेवाड़ राजवंश महाराणा प्रताप के अग्रज है। डूंगरपुर में सात शताब्दियों तक ही एक ही राज्य के राज वंश के शासन का इतिहास है। इस प्रकार इस क्षेत्र का इतिहास बहुत पुराना एवं समृद्ध है। डूंगरपुर शहर का नाम इन्दौर और सूरत आदि शहरों के साथ ही देश के सबसे स्वच्छ और सुन्दर शहरों में शुमार है। बांसवाड़ा- डूंगरपुर और उदयपुर में हवाई पट्टियां मौजूद है । निकटवर्ती मध्य प्रदेश के रतलाम, गुजरात के वडोदरा तथा गांधीनगर एवं अहमदाबाद आदि में भी रेल और हवाई सेवाओं के साथ नेशनल हाई वे का एक मजबूत नेटवर्क उपलब्ध है। यदि इन तीनों राज्यों को छोटी विमान सेवाओं और पर्यटन के एक नए सर्किट के रूप में विकसित किया जाए तो देश के पश्चिमी और मध्य भारत को जोड़ने वाली एक नई जीवन रेखा उकेरी जा सकती है। साथ ही इस अंचल में चिकित्सा सेवाओं को जरूरतों को पूरा करने के साथ ही मेडिकल ट्यूरिज्म को भी प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
बांसवाड़ा-डूंगरपुर के पूर्व सांसद ताराचंद भगौरा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बांसवाड़ा आगमन पर उनका स्वागत करते हुए आदिवासियों के जलियांवाला बाग माने जाने वाले मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने का आग्रह किया है। राजस्थान–गुजरात सीमा पर स्थित मानगढ़ धाम देश की स्वतंत्रता और आदिवासी अस्मिता का प्रतीक स्थल है, जहाँ 17 नवम्बर 1913 को ब्रिटिश सेना ने आदिवासी क्रांतिकारियों पर गोलीबारी कर 1500 आदिवासियों और सैकड़ों अन्य लोगों को शहीद कर दिया था। ताराचंद भगौरा ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि जिस प्रकार जलियांवाला बाग,दांडी और साबरमती जैसे ऐतिहासिक स्थलों को राष्ट्रीय महत्व प्राप्त है, उसी प्रकार मानगढ़ धाम को भी राष्ट्रीय महत्व मिलना चाहिए,ताकि यहां देशभर से लोग आकर शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकें और आदिवासी इतिहास एवं संस्कृति के बारे में जान सकें।
इस प्रकार वागड़वासियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक बांसवाड़ा यात्रा से ढेरों उम्मीदें है। साथ ही विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दक्षिणी राजस्थान में विकास के नए युग की शुरुआत करने से इस अंचल में पृथक भील प्रदेश बनाने जैसी अलगाववादी प्रवृत्तियों पर भी अंकुश लगेगा तथा इस आदिवासी अंचल से रोजगार के लिए होने वाला पलायन भी रुक सकेगा।