विश्वविद्यालय कन्या महाविद्यालय के समन्वयक डॉ. मनीष जी श्रीमाली ने बताया कि 24 सितंबर 2025 को आयोजित हिंदी कविता प्रतियोगिता एवं कविता लेखन कार्यशाला विद्यार्थियों में रचनात्मकता और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण प्रयास था।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय कवि श्री गिरीश जी “विद्रोही” मुख्य अतिथि रहे, जबकि श्रीमती आशा पांडेय ओझा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। कवि गिरीश विद्रोही ने अपने उद्बोधन में कुलो को तराने वाली स्त्री मंदिरों की आरती के समान पूजनीय बताया । साहित्य परिषद की अध्यक्ष आशा पाण्डे ओझा ने यमक एवं अनुप्रास अलंकार के माध्यम से कविता लेखन की बारीकियों को समझाया। अपनी कविता के माध्यम से पारिवारिक संबंधों के प्रेम और स्नेह की शिक्षा दी। मंच संचालन प्रेम शंकर पालीवाल ने किया। अतिथि व्याख्याता हरीश कुमार शर्मा, जसमत बरोड, डॉ. भानु प्रकाश, पूरण सिंह चूंडावत एवं कैलाश गमेती भी मौजूद रहे।
प्रतियोगिता में महाविद्यालय की 13 प्रतिभागियों ने समाज, संस्कृति, प्रकृति और समकालीन मुद्दों पर प्रभावशाली कविताएँ प्रस्तुत कीं।
मुख्य अतिथि श्री गिरीश जी “विद्रोही” ने अपने उद्बोधन में कहा कि “कुलो को तराने वाली स्त्री मंदिरों की आरती के समान पूजनीय है”, और हाड़ी रानी तथा मीरा के उदाहरण से महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि साहित्य और संस्कृति के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाएँ।
प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर हेमलता झाला, द्वितीय स्थान पर प्रेमी डांगी और तृतीय स्थान पर काजल कुंवर रहीं।
कार्यशाला में प्रतिभागियों को कविता लेखन की शैली, भावनाओं की अभिव्यक्ति और रचनात्मकता के विविध पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया गया। अतिथियों ने प्रतिभागियों की सृजनशीलता की सराहना करते हुए निरंतर साहित्यिक विकास के लिए प्रोत्साहित किया।
यह आयोजन महाविद्यालय के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक वातावरण को समृद्ध करने वाला सफल कार्यक्रम साबित हुआ।