उदयपुर : ठाकुर अमरचंद बड़वा स्मृति संस्थान की ओर से सर्वपितृ अमावस्या को आयड़ गंगू कुंड महासत्या स्थित ठाकुर अमरचंद बड़वा की छतरी पर प्रातः 8.15 से पुष्पांजलि सभा का आयोजन हुआ |
इतिहासकार डॉ राजेंद्रनाथ पुरोहित ने बताया कि 5 जून 1751 को महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय ने अमरचंद बड़वा को मेवाड़ का प्रधान नियुक्त करते हुए उन्हें ठाकुर की उपाधि थी | वे चार अल्प आयु महाराणाओं के शासनकाल में एक कुशल प्रधानमंत्री व सेनापति रहे |अध्यक्षता करते प्रोफेसर विमल शर्मा ने कहा बड़वा जी की सफल रणनीति के परिणाम स्वरुप ही मेवाड़ मराठाओ के आक्रमण को निष्क्रिय कर सुरक्षित रहा | डॉ शर्मा ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से शहर कोट पर बनाये चारों गढ़ (सूर्यगढ़, इंद्रागढ़, अम्बावगढ़, सारणेश्ववरगढ़) व स्थापित पांचों बड़ी तोपों का वर्णन कर बड़वा जी की कुशल सैन्य प्रबंधन का यशोगान किया |
डॉ मनीष श्रीमाली कहा कि मेवाड़ के इतिहास में दुखद वृतांत्त यह भी है कि एक दासी के बहकावे में आकर राजमाता झाली सरदार कुंवर ने बड़वा जी का तिरस्कार किया तो बड़वा जी ने अपनी समस्त संपत्ति छकड़ों में भरकर राजमहल भिजवा दी | अंत समय उनके निवास से शव को ढकने तक का वस्त्र नहीं निकला| संघठन सचिव जय किशन चौबे ने कहा कि मेवाड़ पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले इस महान सपूत की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कर संस्थान सदस्य व शहरवासियों ने अपनी कृतज्ञता व्यक्त की |
सचिव डॉ रमाकांत ने बताया की पुष्पांजलि करने वालों में प्रमुख बड़वा परिवार से 96 वर्षीय श्रीमती जीवनलता बड़वा, संस्थान अध्यक्ष प्रोफेसर विमल शर्मा, महासचिव डॉ राजेंद्र नाथ पुरोहित, संघठन सचिव जय किशन चौबे, सचिव डॉक्टर रमाकांत शर्मा, राजू बड़वा, साहित्यिक प्रभारी डॉक्टर मनीष श्रीमाली, सम्पादक मनोहर लाल मुंदड़ा, एडवोकेट भरत कुमावत, सांस्कृतिक मंत्री नरेंद्र उपाध्याय, सुरेश तंबोली, ओम प्रकाश माली, चंद्रप्रकाश चित्तौड़ा, हरिप्रसाद शर्मा, कुशाल माथुर, यशवंत, जयवर्धन, घनश्याम सोलंकी, हार्दिक परिहार, दुरंजय सिंह सहित संस्थान सदस्य व गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे|