श्रीगंगानगर। पंचायत समिति अनूपगढ़ के गांव 27 ए में बुधवार को आत्मा योजना अन्तर्गत एक दिवसीय रबी किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम परियोजना निदेशक (आत्मा) डॉ. विनोद सिंह गौतम ने आत्मा योजनान्तर्गत कृषक पुरस्कार चयन हेतु पत्रावली कैसे तैयार की जानी है, की जानकारी दी एवं सीमित संसाधनों से अनूठे प्रयोग कर फसल उत्पादन व पर्यावरण संरक्षण में सुधार लाने वाले किसान इस पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही किसान इंटर स्टेट टूर का महत्व बताते हुए उन्हें अन्य राज्यों की उन्नत कृषि पद्धतियों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
कृषि पर्यवेक्षक श्री हरजिन्द्र सिंह ने कृषि विभाग द्वारा देय योजनाओं एवं अनुदान की पूरी प्रक्रिया समझाई। उन्होंने बताया कि सान उर्वरक, बीज, पंप सेट व मशीनरी पर मिलने वाला अनुदान का लाभ सरकारी पोर्टल के माध्यम से कैसे प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही आवश्यक दस्तावेज व आवेदन की प्रक्रिया को विस्तार से जानकारी दी।
श्री महावीर प्रसाद पचार सेवानिवृत सहायक कृषि अधिकारी ने वर्तमान परीपेक्ष में जैविक खेती की आवश्यकता के मध्यनजर जैविक खेती के घटक जिसमें विशेषकर गोबर की खाद, केंचूए की खाद, नीम बेस्ड पेस्टीसाईड, मित्र कीट आदि की जानकारी दी तथा गलियों व नोहरों में पड़ी हुई गोबर के खाद के ढेर का नुकसान बताते हुये इस ढेर को खेत में खड्डा खोदकर खाद तैयार करने के तरीके बताये। भूमि में कार्बन नत्रजन रेशो की कमी होने की बात बताई जिसकी पूर्ति जैविक खादों से की जा सकती है तथा नींबूवर्गीय विभिन्न फसलों में लगने वाले रोगों एवं उनके निदान के बारे में विस्तृत से जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री मनवीर सिंह सरपंच ग्राम 27 ए ने कृषकों की आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु अत्याधुनिक एवं वैज्ञानिक तरीकों से कम लागत कर अधिक उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिये तथा कृषि विभाग द्वारा आयोजित भ्रमणों व प्रशिक्षणों में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर उन्हें उपयोगी बनाने के निर्देश दिए। सेवानिवृत सहायक कृषि अधिकारी श्री सोहन लाल शर्मा ने जल संरक्षण व पौधारोपण का महत्व बताया तथा नींबूवर्गीय विभिन्न फसलों में लगने वाले रोग, उनकी पहचान एवं उनके निदान के बारे में विस्तृत से जानकारी दी।
समापन सत्र में परियोजना निदेशक (आत्मा) ने किसानों को वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर, उपलब्ध सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने और सत्त कृषि की दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया। किसानों ने इस गोष्ठी आयोजन को अत्यंत उपयोगी बताया और कहा कि इससे उन्हें खेती व पशुपालन से जुड़ी नई तकनीकें, नवाचार और सरकारी योजनाओं की महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई है, जो भविष्य में उनकी आय व उत्पादन को ओर अधिक बेहतर बनाने में सहायक होगी।