उदयपुर, जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में इस वर्ष को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में उदयपुर में माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान के तत्वावधान में17 से 19 सितम्बर को नगर निगम के टाउन हॉल परिसर में नेशनल ट्राईबल फूड फेस्टिवल - 2025 आयोजित हो रहा है। फेस्टिवल का उद्घाटन नगर निगम सभागार में बुधवार सुबह 11 बजे जनजाति क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबुलाल खराड़ी के कर कमलों से होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद डॉ मन्नालाल रावत, करेंगे तथा विशिष्ट अतिथि उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा होंगे। कार्यक्रम में भाग लेने हेतु अन्य प्रदेशों तथा राजस्थान के अन्य जिलों से पाक कलाकार उदयपुर पहुंच चुके है। फेस्टिवल में प्रवेश पूरी तरह से निःशुल्क रहेगा।
यह व्यंजन रहेंगे आकर्षण का केंद्र
टीआरआई निदेशक ओ पी जैन ने बताया कि फूड फेस्टिवल में महाराष्ट्र के महादेव कोली जनजाति के मासवडी, डांगर भाकरी, कड़क माकरी, केरल से कुरूलिया एवं माविलन जनजाति द्वारा मुलायरी पायसम, मुलायरी ओड़ा, चुक्का, रागी पजन्पुरी का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा मध्यप्रदेश से बारेला, बेगा, मलासी जनजाति द्वारा लाल ज्वारी के लड्डू, जंगली मौसंबी भाजी, कुटकी भात, जम्मू कश्मीर से गुज्जर जनजाति द्वारा कद्दू खीर, कुंगी मुकुम बिहार से निरमाला जनजाति द्वारा रागी लड्डू व राईस लड्डू का प्रदर्शन होगा। दादर एवं नगर हवेली से माण्डोनी जनजाति द्वारा बेम्बू अचार, नागली रोटी, मोरींगा भाजी, छत्तीसगढ़ से हालना एवं मुरीया जनजाति द्वारा मंडिया रोटी, आमल, चापड़ा चटनी, गुजरात से घोड़िया जनजाति द्वारा नागली से तैयार विभिन्न व्यंजन तथा राजस्थान के विभिन्न जनजाति बहुल जिलों से भील, मीणा, गरासिया एवं सहरिया जनजाति के पाक कलाकारों द्वाना कुलध की घूघरी, मक्के का खींचड़ा, मक्की राब व लापसी, कुआर, किकोड़े की भाजी, बाजरा राब, बाजरी का सोगरा, महुआ के ढेकले, महुआ के लड्डू, पानिया, केर सांगरी (पंचकुटा) इत्यादि व्यंजन तैयार कर पारंपरिक जनजातीय व्यंजन स्टॉल, ऑर्गनिक उत्पादों की प्रदर्शनी की जाएगी।