कोटा, हिन्दी दिवस के अवसर पर भूटान की राजधानी थिम्फू में आयोजित “भूटान भारत साहित्य महोत्सव” में सलूम्बर (राजस्थान) की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. विमला भंडारी को उनके साहित्य के समग्र योगदान पर “लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड 2025” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें 14 सितम्बर को क्रान्तिधरा अकादमी की ओर से प्रदान किया गया, जिसके अंतर्गत उन्हें अंगवस्त्र, सम्मान पत्र और सम्मान शलाका भेंट की गई।
बाल साहित्य की भूमिका पर विशेष उद्बोधन
समारोह के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ. विमला भंडारी ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में बाल साहित्य की भूमिका, महत्व और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य न केवल भाषा को नई पीढ़ी तक पहुँचाता है बल्कि संस्कार, मूल्यों और भारतीय परंपराओं के संवाहक के रूप में भी कार्य करता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी का परचम
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र मोहन शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि हिन्दी दिवस का आयोजन अब राष्ट्रीय सीमाओं से बाहर निकलकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आयोजित हो रहा है। हिन्दी ने न केवल राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है बल्कि युवाओं के लिए रोजगार और तकनीक के क्षेत्र में नए अवसर भी खोले हैं।
प्रमुख अतिथि और व्यापक सहभागिता
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भूटान सरकार के उप उच्चायुक्त उपस्थित थे। मास्को निवासी भारतीय मूल की प्रख्यात लेखिका डॉ. श्वेता ऊमा ने भी समारोह में भागीदारी की।
क्रान्तिधरा अकादमी के अध्यक्ष और महोत्सव के संयोजक विजय पंडित ने भूटान सरकार तथा बड़ी संख्या में उपस्थित साहित्यकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में भूटान की प्रसिद्ध साहित्यकार सीता राहू सहित भारत और भूटान के 100 से अधिक साहित्यकार मौजूद रहे।
दो दिवसीय महोत्सव में साहित्यिक प्रस्तुतियाँ
दो दिवसीय इस महोत्सव के दौरान गीत, कविता, लघुकथा, कहानियों की प्रस्तुतियों के साथ-साथ नाट्य परंपरा में राम, लक्ष्मण और शबरी के मिलन की कथा का मंचन किया गया। उपन्यासों के अंश प्रस्तुत किए गए तथा भूटान के युवाओं ने भी उत्साहपूर्वक काव्य पाठ किया।
इस आयोजन ने यह साबित किया कि हिन्दी साहित्य केवल भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी इसकी गूंज बढ़ रही है। डॉ. विमला भंडारी का यह सम्मान पूरे राजस्थान और भारत के लिए गौरव की बात है।