उदयपुर।महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) उदयपुर के कुलपति अजीत कुमार ने सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि “सतत् कृषि और पौध संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं बल्कि आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनिवार्य मार्ग है।”
उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक विश्व की जनसंख्या लगभग 10.8 अरब तक पहुँच जाएगी और भारत की जनसंख्या भी 175 करोड़ के आसपास होने का अनुमान है। ऐसे परिदृश्य में कृषि उत्पादन का दबाव और भी बढ़ेगा। भूमि संसाधनों में कमी, जल संकट और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियाँ इस दबाव को और गंभीर बनाएंगी।
कुलपति ने कहा कि फसल संरक्षण के लिए भारत में कीटनाशकों का उपयोग दुनिया के कई देशों की तुलना में बहुत कम है। “भारत में औसतन 0.36 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कीटनाशक उपयोग होता है, जबकि वैश्विक औसत 2.5 किलोग्राम और चीन में यह आँकड़ा 11 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक है,” उन्होंने बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और कृषि को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन, जैविक कीटनाशक, परिशुद्ध कृषि तकनीक और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को एक साथ आगे बढ़ाना होगा।
कुलपति अजीत कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय और शोध संस्थानों की ज़िम्मेदारी है कि वे किसानों और कृषि कंपनियों के साथ मिलकर व्यावहारिक और किफ़ायती समाधान उपलब्ध कराएँ।
“कृषि भारत की रीढ़ है और फसल संरक्षण उसका कवच। यदि यह कवच कमजोर हुआ तो खाद्य सुरक्षा का सपना अधूरा रह जाएगा,” उन्होंने कहा।