प्रभात संगीत - आशावाद से भरपूर संगीत का एक नूतन घराना

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Published on : 15 Sep, 25 04:09

प्रभात संगीत - आशावाद से भरपूर संगीत का एक नूतन घराना
उदयपुर . रीनासां यूनिवर्सल (आर. यु.) क्लब, उदयपुर, राजस्थान के तत्वावधान में 14 सितम्बर 2025 को 43 वां प्रभात संगीत दिवस समारोह का आयोजन टेकरी-मादरी रोड स्थित जागृति परिसर में किया गया. कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रयागराज से पधारे एडवोकेट पारिजात मिश्र द्वारा आनंद मार्ग प्रचारक संघ, माइक्रोवाइटा सिद्धांत तथा प्रभात संगीत के प्रवर्तक श्री प्रभात रंजन सरकार की प्रतिकृति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ.  प्रभात संगीत की आध्यात्मिक महत्ता बताते हुए पारिजात जी ने कहा कि एक आध्यात्मिक साधक के लिए यह संगीत परमपुरुष के आप्त वाक्य हैं जिसका अनुसरण कर वो जीवन के परम लक्ष्य को पाने की और अग्रसर हो सकता हैं.
इस अवसर पर आर. यु. क्लब, उदयपुर के अध्यक्ष डॉ. एस. के. वर्मा ने बताया की 'प्रभात संगीत' 5018 गीतों का एक अद्भुत संग्रह है जो श्री पी.आर. सरकार द्वारा आठ विभिन्न भाषाओं जैसे बंगाली, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मैथिली, अंगिका तथा मगही में दिए गए हैं. सर्वाधिक गीत कोमल स्वर युक्त 'बंगाली' जैसी मधुर और कर्णप्रिय भाषा में दिए गए हैं. प्रथम गीत "बंधु हे निये चलो", श्री सरकार ने दिनांक 14 सितम्बर, 1982 को बिहार हाल झारखण्ड के देवघर में दिया था और अंतिम गीत सं. 5018 'आमरा गड़े नोव गुरुकुल', 20 अक्टूबर 1990 को कोलकाता में दिया था. डॉ. वर्मा ने बताया की मात्र आठ वर्षों के अंतराल में दिए गए प्रभात संगीत में जीवन के विविध आयाम और मनोभाव पर आधारित गीत हैं, हर ऋतू , त्यौहार, सामाजिक अनुष्ठान, साथ ही शिव और कृष्ण स्तुति से सम्बंधित गीत भी हैं. आशावाद से भरपूर प्रभात संगीत जीवन में नए प्रभात का सूत्रपात करते हैं. इस संगीत में भगवान स्वयं भक्त बनकर उसके मन के विभिन्न भावों को अभिव्यक्त कर रहे हैं.  प्रभात संगीत, संगीत के क्षेत्र में एक नया घराना है जिसमें शोध की अपार संभावनाएं हैं. इसमें कई नवीन रागों पर आधारित गीत भी हैं जिनका नामकरण अभी तक नहीं हुआ है तथा कई अतीत में विलुप्त हो चुकी राग-रागिनियों को भी इसमें पुनर्जीवित किया गया है. इसके साथ ही प्रभात संगीत द्वारा कई शारीरिक और मानसिक व्याधियाँ दूर हो जाती हैं.  इसके गायन से 'धनात्मक माइक्रोवाइटा' आकर्षित होकर वातावरण को मानसाध्यात्मिक साधना के लिए अनुकूल बनाते हैं. इसमें मुख्यतया 'गन्धर्व माइक्रोवाइटा' मानव मन को कई सूक्ष्म अभिव्यक्तियों का आनंद दिलाने में सहायता करते है.  प्रभात संगीत, एक साधक को नंदन विज्ञान से शुरू होकर मोहन विज्ञान तक ले जाता है. प्रथम दृष्टया, प्रभात संगीत, आनंद मार्ग के दर्शन, सामाजिक और आर्थिक शास्त्र की संगीतमय अभिव्यक्ति है.
रविवार को आयोजित इस प्रभात संगीत कार्यक्रम में विभिन्न भावों, भाषाओं, धुनों, राग-रागिनियों आदि पर आधारित प्रभात संगीत जैसे पथिक तुमि एकाकी ऐसे, तुम हो मेरे कृष्ण जगतपति, जय शुभ वज्रधर शुभ्र कलेवर, विश्व दोलाय दोल दिएछौ, करतार हमारे तुम्हारे लिए यहाँ आना, अंग भूमि सुन्दरतम भूमि, बाबा ए बार जाओ ना आर, हारिये गेछी आज के आमी, आलोकेरी उत्सवे, अवध गए प्रयाग गए, मोर घुम घोरे तुमि ऐसे अनाहूत, भूलो ना प्रभु, ऐ तव कणा भूलो ना, इत्यादि का गायन हुआ, साथ ही उनके भावार्थ को भी प्रस्तुत किया गया.
तत्पश्चात अष्टाक्षर सिद्ध महामंत्र 'बाबा नाम केवलम' पर एक प्रहर का अखंड कीर्तन आयोजित किया गया और मिलित ईश्वर प्रणिधान, वर्णाध्यन के साथ स्वाध्याय पाठ हुआ. कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से आये साधकों ने भाग लिया तथा कार्यक्रम का अंत मिलित भोज से हुआ. कार्यक्रम का संचालन स्मरिम सचिव डॉ. वर्तिका जैन ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन राजेंद्र जैन ने दिया.  

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