उदयपुर , विगत छह सितंबर के एक दिन के आयड नदी तेज प्रवाह ने उसके प्रवाह पथ और आंचल को चोट पहुंचाने वाली हर एक करतूत को नेस्तनाबूद कर दिया है।
रविवार को नदी दौरे पर गए पर्यावरण प्रेमियों ने स्मार्ट सिटी के द्वारा कराए कथित विकास कार्यों का बुरा हश्र देखा । पेटे पर हुए गलत कार्यों का विनाश कर नदी अपने पेटे का सुधार कर रही है।
निरीक्षण में सम्मिलित डॉ अनिल मेहता ,तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा तथा कुशल रावल ने पाया कि एक दिन के प्रवाह ने नदी में बनाई आरसीसी की दीवारों को भी नहीं बक्शा है। उल्लेखनीय है कि जब यह आरसीसी कार्य करवाया जा रहा था, तब कई जागरूक नागरिकों ने आगाह किया था कि अव्वल तो नदी पेटे पर आर सी सी निर्माण गलत है, और यदि कर भी लिया तो नदी उसे तोड़ देगी।
यही नहीं नदी तल लगाए गए पत्थर के भारी भरकम चौकों, पट्टियों को भी नदी ने पूरा दंड दिया है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने पिछले वर्ष के पानी प्रवाह में पट्टियों व चौकों को खिसकते देखा तो लोहे की क्लिप व केमिकल से इन पत्थरों को एक दूसरे से जोड़ दिया ताकि वे एक दूसरे को थाम कर रख सके, लेकिन नदी ने इन क्लिप्स को भी सबक सिखा दिया।
नदी बहाव में ये टूट गई है। कई भारी भरकम पट्टियां पानी बहाव में बह भी गई है और जनता की कमाई के करोड़ों रुपए , पब्लिक मनी व्यर्थ हो गई है। जो कुछ पट्टियां बही नहीं, उनके नीचे की मिट्टी बह गई है। यदि दो तीन दिन भी नदी में बहाव चल जाए तो यह पट्टियां भी बिखर जाएगी।
नदी बनाए गार्डन तो पूरी तरह बर्बाद हो गए है। एक दिन के प्रवाह ने यह सिद्ध कर दिया कि पानी के प्रवाह मार्ग में छेड़खानी उचित नहीं है । लेकिन, जिद पर आमादा स्मार्ट सिटी मशीनरी फिर से मरम्मत करने पहुंच गई है।
पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि इस लीपापोती से कुछ नहीं होगा। उचित तो यही होगा कि नदी में भरे मलबे, बिछाई फर्शी, गार्डन इत्यादि को हटा कर सामूहिक प्रायश्चित किया जाए और मां रूपी नदी से माफी मांगी जाए।