राजस्थान विद्यापीठ - वेद ज्ञान सप्ताह का हुआ आगाज

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Published on : 10 Sep, 25 10:09

वैदिक प्रदर्शनी का किया शुभारंभ जन-जन तक पहुंचे वेदों का ज्ञान - प्रो. सारंगदेवोत

राजस्थान विद्यापीठ - वेद ज्ञान सप्ताह का हुआ आगाज

उदयपुर / राजस्थान विद्यापीठ के संघटक साहित्य संस्थान एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय  वेद ज्ञान सप्ताह का शुभारंभ संस्थान के सभागार में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, मुख्य वक्ता डाॅ. पंकज कुमार शर्मा, डाॅ. सुरेन्द्र शर्मा, निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, प्रभारी डाॅ. महेश आमेटा, संयोजक डाॅ. कुलशेखर व्यास ने माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजली, दीप प्रज्जवलित कर एवं वैदिक प्रदर्शनी का फीता का कांट कर किया।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रो. जीवन सिंह खरकवाल ने सात दिवसीय समारोह की जानकारी देते हुए बताया कि  7 दिन अलग-अलग महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में वेदों से सम्बंधित व्याख्यान होंगे।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति कर्नल प्रो. एस एस सारंगदेवोत ने कहा कि वेद ज्ञान सप्ताह का उद्देश्य वेदों के ज्ञान का प्रचार प्रसार करना है ताकि आमजन में ज्ञान, संस्कार और श्रद्धा का विकास हो सके। वैदिक ज्ञान को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है। समस्त ज्ञान एवं धर्म का मूल वेद है। वर्तमान समय में हम वैदिक संस्कृति से दूर होते  जा रहे है जिस कारण समाज अनेक विकृतियाॅ एवं समस्याएॅ उत्पन्न हो रही है। वेद किसी धर्म विशेष ेके ग्रंथ न होकर सम्पूर्ण मानवता के ग्रंथ है। इसमें मानव का आदि इतिहास समाहित है। वेदों में मंत्र की शक्ति है। साथ ही शब्द ब्रह्म है पर अपने विचार व्यक्त किया। इसके अतिरिक्त दुर्गा सप्तशती के महत्व को स्पष्ट किया। साथ ही दुर्गा सप्तशती के विभिन्न अध्याय के महत्व को स्पष्ट किया। इसके साथ मन की पवित्रता पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मन हमेशा पवित्र रहता है मंत्र हमेशा शक्ति प्रदान करते हैं।
मुख्य वक्ता डा. पंकज कुमार शर्मा ने वैदिक ऋचाओं में खगोल विज्ञान निहित है। उसको स्पष्ट किया साथ ही गणपति के मंत्र की व्याख्या प्रस्तुत करते हुए मंत्र की शक्ति को बताया। इसके अतिरिक्त आसन सिद्धि को बताया।
विशिष्ट अतिथि डा. सुरेन्द्र द्विवेदी ने कहा कि वेदों की ऋचाओं में बताएं हुए आचरण के अनुसार आचरण करने से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ एवं दीर्घजीवी होता है तथा ईश्वर भक्ति में लीन रहते हुए अनेक सिद्धियां प्राप्त करता है। श्रीमद्भागवत पुराण का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि व्यक्ति कोई भी कार्य पूर्ण मनोयोग से करना चाहिए।
संचालन डाॅ. कुलशेखर व्यास ने किया जबकि आभार डाॅ. महेश आमेटा ने जताया।
इस मौके पर परीक्षा नियंत्रक डाॅ. पारस जैन, डाॅ. भवानीपाल सिंह राठौड, विकास आमेटा,  गणपत आमेटा, केके कुमावत, डाॅ. यज्ञ आमेटा, डाॅ. तिलकेश आमेटा, डाॅ. मितेष भटट्, गणेशलाल नागदा, इन्द्रसिंह राणावत, डाॅ. मनीष श्रीमाली, लव वर्मा, परशुराम शर्मा, नारायण पालीवाल, शोयब कुरेशी, आनंद कुमार सहित ज्योतिषविद् उपस्थित थे।


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