वाइब्रेंट गुजरात नवरात्रि उत्सव उदयपुर में गरबे, कला, हस्तकला और व्यंजनों के साथ

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Published on : 08 Sep, 25 11:09

वाइब्रेंट गुजरात नवरात्रि उत्सव उदयपुर में गरबे, कला, हस्तकला और व्यंजनों के साथ

उदयपुर। यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त गुजरात का प्रतिष्ठित लोकनृत्य गरबा अब झीलों की नगरी उदयपुर में लोगों को लुभाने आ रहा है। पहली बार गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा राजस्थान में वाइब्रेंट गुजरात प्री-नवरात्रि फैस्टिवल 2025 आयोजित किया जा रहा है।

यह भव्य उत्सव 14 सितम्बर को फील्ड क्लब, उदयपुर में आयोजित होगा, जहाँ संगीत, नृत्य और परंपरा का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। प्रवेश सभी के लिए निःशुल्क रहेगा और फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व के आधार पर दिया जाएगा। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत मुख्य अतिथि होंगे। उनके साथ राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और गुजरात के पर्यटन मंत्री मुलुभाई बेरा भी उपस्थित रहेंगे।

उत्सव से पहले 8 से 13 सितम्बर तक जेडीसीए डांस एंड स्पोर्ट्स फिटनेस हब, उदयपुर में गरबा वर्कशॉप्स होंगी। ये सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे और शाम 7 बजे से रात 11 बजे तक होंगी। इसमें भी प्रवेश निशुल्क रहेगा और इच्छुक प्रतिभागी 63581 44611 पर संपर्क कर सकते हैं।

फेस्टिवल के दौरान आकर्षक उपहार और इनाम भी दिए जाएंगे। इनमें 5,000 रुपये के शॉपिंग वाउचर, सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक परिधान (पुरुष, महिला, बालक), सर्वश्रेष्ठ गरबा प्रदर्शन (व्यक्ति, युगल, समूह और बालक वर्ग), तथा सर्वश्रेष्ठ अपलोड की गई रील के लिए पुरस्कार शामिल हैं।

कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण प्रस्तुति गुजरात के प्रसिद्ध पार्श्वगायक पार्थिव गोहिल देंगे। वे अपनी टीम के साथ लाइव प्रदर्शन कर पारंपरिक गरबा धुनों से शाम को यादगार बनाएंगे। उत्सव की शुरुआत शाम 7:30 बजे होगी, जिसमें पहले 30 मिनट के लिए गुजराती लोकनृत्य जैसे तलवार रास, गोफ गुंथन और मणियारो रास पेश किए जाएंगे। इसके बाद गरबा का मंच सभी के लिए खुला होगा।

आयोजकों ने बताया कि गरबा में भाग लेने के लिए पारंपरिक पोशाक अनिवार्य है। गैर-पारंपरिक परिधान वाले मेहमान दर्शक के रूप में कार्यक्रम का आनंद ले सकेंगे।

उन्होंने कहा कि नवरात्रि सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि दिलों को जोड़ने का माध्यम है। गरबा और गुजरात की परंपराओं को उदयपुर लाकर, यह उत्सव एक सांस्कृतिक अनुभव देगा जहाँ पीढ़ियाँ एक साथ आएंगी, परंपराएँ साझा होंगी और यादें बनेंगी।

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