उदयपुर : आयड नदी अपने पेटे को सुधार रही है, वह अपने शरीर पर हुए आघातों का खुद ही इलाज कर रही है। अतः निगम, स्मार्ट सिटी लिमिटेड , यूडीए को नीम हकीमी करने की जरूरत नहीं है।
यह चेतावनी भरे विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किए गए।
संवाद में विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि नदी अपनी हद प्राप्त कर रही है , ऐसे में हमें अपनी हदें पार नहीं करनी चाहिए।
पिछले तीन वर्षों से तो हर वर्षाकाल में नदी यह संदेश दे रही है कि वो अपने मूल प्रवाह मार्ग तथा पेटे के साथ हुए खिलवाड़ को सहन नहीं करेगी।
मेहता ने बताया कि गत वर्ष 2024 सितंबर प्रथम सप्ताह में जब नदी में कुछ ही बहाव आया था , तब भी नदी पेटे में बिछाई पत्थर की फर्शी, भरी गई मिट्टी ,बनाए गए गार्डन व रास्ते तहस नहस हो गए थे। बीच में बनाई नाली के पैंदे मे लगी लोहे की जाली बाहर निकल आई थी। लेकिन, वर्षा काल पूर्ण होते ही , मरम्मत व सुधार के नाम पर सरकारी एजेंसियां फर्शी मिट्टी,जाली को पुनः स्थापित करने पहुंच गई ।
मेहता ने कहा कि इस वर्ष नदी पूर्ण बहाव पर बही है। पूरी आशंका है कि फर्शियां, जालियां, भरी गई मिट्टी, मलबा सब बह गए होंगे । विश्वास किया जाना चाहिए कि सरकारी एजेंसियां नदी के संदेश का सम्मान करते हुए पूर्व की गलतियों को नहीं दोहराएंगे।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि उदयपुर सिटी को जल शक्ति मंत्रालय तथा शहरी विकास मंत्रालय द्वारा गठित रिवर सिटी एलायंस मे सम्मिलित किया हुआ है। आयड के कारण ही उदयपुर को रिवर सिटी का दर्जा मिला हुआ है। लेकिन नदी के पाट ( फ्लड प्लेन) में अतिक्रमण व निर्माणों को अनुमत कर नदी के मूल स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है। प्रशासन को चाहिए कि वह रिवर सिटी की रिवर के फ्लड प्लेन में हुए सभी निर्माणों को हटाए ।
गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि नदी मे हुए निर्माण नदी की मूल प्रकृति व मूल बहाव के प्रति अत्याचार है। नदी तल पर पक्की फर्शी ने प्रवाह को तीव्र किया है जिससे भी समस्याएं पैदा हो रही है। पेटे में भराव से नदी तल ऊपर हो गया जिससे शमशान स्थलों सहित कई कॉलोनियों में दूर दूर तक पानी फैल गया ।
पर्यावरण विद कुशल रावल ने कहा कि आयड नदी को गंगा जी पांचवा पाया माना जाता रहा है। लेकिन दुर्भाग्य है कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने पुनर्वास की आड़ में नदी तंत्र का विनाश किया तथा महान सांस्कृतिक आध्यात्मिक विरासत को मिटाने की कोशिश की। नदी अब अपनी विरासत को पुनः प्रदर्शित कर रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता द्रुपद सिंह ने कहा कि जनता के सौ करोड़ खर्च कर आयड को बर्बाद करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।
संवाद से पूर्व पिछोला अमरकुंड पर श्रमदान कर झील किनारे से कचरा हटाया गया