के डी अब्बासी
कोटा । गणेश चतुर्थी को प्रारम्भ हुए गणेश महोत्सव के साथ ही पूरे शहर गणपति मय हुआ, जगह जगह भगवान गणेश की भव्य मूर्तियाँ, पांडाल लगाये गए, गणपति के जयकारे, गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष सुनने को मिले, पूरा शहर, राज्य, देश, भक्तिमय वातावरण और श्रद्धा से सराबोर था । उसके बाद कल अनंतचतुर्दर्शी के अवसर पर लाखों लोगों ने जिस गणेश जी को 10 दिनों तक स्नेह, ममता, लाड़, प्यार, दुलार और प्रेम भावना के साथ अपने घरों में अपने घर के सदस्य के रूप में रखा उनकी सेवा की उन्हें भक्ति, श्रद्धा, भावना के साथ जलाशयों में विसर्जित कर दिया जिसका क्रम रविवार सुबह तक जारी रहा | लेकिन विसर्जन के बाद अगर कोई गणपति बाप्पा की दुर्गति देख तो आँखों से पानी और दिल में गुस्सा आता है । ऐसे में सोसाइटी हैस ईव शी इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ. निधि प्रजापति की अगुवाई में भीतरिया कुंड में श्रमदान किया है तथा मंदिर परिसर में निर्मित कुंड और गार्डन की साफ़ सफाई की गयी जहाँ बिलकुल क्षीण अवस्था में देश की आन, बान शान तिरंगा मिला जिसे शायद किसी गणपति की मूर्ति पर लगाया हो और पैरों में नटराज की धातु की मूर्ति मिली, मंदिर के प्रवेश द्वार पर ही टूटी-फूटी मूर्तियों के अंश और बाप्पा के खंडित अंग पड़े थे, मूर्तियों की दुर्दशा देखी नही जा रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे विघ्नहर्ता स्वयं विघ्नों से घिरों हो और कह रहे हो ऐसे मुझे मत लाया करो | वुमन वेलफेयर आर्गेनाईजेशन ऑफ वर्ल्ड की प्रेसिडेंट नीतू मेहता भटनागर ने बताया की कल शहर के सभी प्रमुख जलाशयों और चम्बल में औसतन कल दो से ढाई लाख के करीब मूर्तियों का विसर्जन हुआ जिनमें से यदि 30 प्रतिशत को छोड़ दे तो 70 प्रतिशत मूर्तियाँ पी ओ पी से निर्मित थी जिन पर व हानिकारक ऑयल पेंट हो रहा था जिससे जलीय जीव जंतु मर जाते है, पानी प्रदूषित होता है और साथ पानी का तापमान भी बढ़ जाता है । राज्य अध्यक्ष अनीता वाघेला और सचिव सोनी नेहलानी कहती है की अच्छी बात यह रही की पी ओ पी से निर्मित मूर्तियों को इस बार जिला प्रशासन की सतर्कता से चम्बल में विसर्जित नहीं होने दिया गया इसलिए मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही हजारों की संख्या में मूर्तियाँ फव्वारे के अन्दर और ऊपर रखी छिन्न भिन्न अवस्था में रखी हुई थी जिन्हें आने वाले दो चार दिनों में ट्रक में भर कर डंपिंग यार्ड में भेज दिया जायेगा | मौके पर नगर निगम के तरफ से शिवराज गोसर, दिनेश नागर और प्रवेश का सहयोग उल्लेखनीय रहा |