शिक्षक दिवस पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, उदयपुर इकाई की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी संपन्न

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Published on : 07 Sep, 25 02:09

शिक्षक दिवस पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, उदयपुर इकाई की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी संपन्न

उदयपुर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, उदयपुर इकाई ने शिक्षक दिवस के अवसर पर रात्रि 8 से 10.30 तक 15 कलमकारों ने ऑनलाइन काव्य गोष्ठी मैं अपनी उत्कृष्ट रचनाऐं प्रस्तुत की। परिषद के सह-मीडिया प्रभारी प्रो. विमल शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता डूंगरपुर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री देवीलाल जोशी ने की, जबकि चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष श्री विष्णु शर्मा ‘हरिहर’ मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. भूपेंद्र शर्मा एवं श्री सुभाष अग्रवाल ‘साकी’ उपस्थित रहे।

 

कार्यक्रम का शुभारंभ दीपिका सोनी की सरस्वती वंदना से हुआ। उन्होंने शिक्षण क्षेत्र में हो रहे बदलावों पर रचना भी प्रस्तुत की। नवोदित रचनाकार पांखी जैन ने शिक्षक धर्म एवं महत्ता पर रचना सुनाकर खूब सराहना प्राप्त की। गति शर्मा ने वर्णमाला के अक्षरों के माध्यम से अध्यापकों का गुणगान किया।

 

शकुंतला पालीवाल ने स्त्री विमर्श और स्त्री के गुरु-तत्व पर रचना प्रस्तुत की। डॉ. भूपेंद्र शर्मा ने गुरु वंदना व गीत प्रस्तुत किए, जबकि श्याम मठपाल ने दोहे व गीतों से श्रोताओं को प्रभावित किया। सुभाष अग्रवाल ‘साकी’ का श्रृंगार गीत तथा महेश कुमार आमेटा की रचना “कल्पनाओं भरी भावनाएँ, स्वप्न मिलाते” सराहनीय रही।

 

कार्यक्रम की संचालिका डॉ. ममता पानेरी की प्रेरणादायी वाणी और उनकी प्रस्तुति “फ़ौजी” – “हम रोटियां कमाने रोज़गार ढूंढते, फ़ौजी गोलियां खाने रोज़गार ढूंढते” – विशेष आकर्षण रही। प्रांत अध्यक्ष विष्णु शर्मा ‘हरिहर’ ने दोहे और गीत सुनाए। मंगलकुमार जैन की रचना ने भाव-विभोर कर दिया।

 

आशा पाण्डेय ओझा ‘आशा’ ने माता-पिता, गुरुजन एवं जीवन-दर्शन पर प्रवाहमयी रचना सुनाई, वहीं बृजेश मिश्रा ने अपनी रचना से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री देवीलाल जोशी ने गुरु-साहित्यकारों के दायित्व निर्वहन का आह्वान किया। उन्होंने अपनी व्यंग्यात्मक रचना “कांटे बोकर घमंडी इंसान देखो हंस रहा है” और “मेरा गुरु जीवन बावरा जग को शिक्षा देत” से गोष्ठी का सार प्रस्तुत किया।

 

समापन अवसर पर बृजेश मिश्रा ने परिषद गीत प्रस्तुत किया। संस्था अध्यक्ष श्रीमती आशा पाण्डेय ने सभी का आभार व्यक्त किया। चंचल शर्मा, सरस्वती जोशी, बंसीलाल सुथार सहित अनेक साहित्यप्रेमी ऑनलाइन जुड़े रहे।


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