‘चंद्रयान 3 के बाद इसरो का अंतरिक्ष अन्वेषण’’ विषय पर तकनीकी वार्ता आयोजित

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Published on : 31 Aug, 25 04:08

‘चंद्रयान 3 के बाद इसरो का अंतरिक्ष अन्वेषण’’ विषय पर तकनीकी वार्ता आयोजित


उदयपुर : दि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया  उदयपुर लोकल सेंटर द्वारा ‘‘चंद्रयान 3 के बाद इसरो का अंतरिक्ष अन्वेषण’’ विषय पर तकनीकी वार्ता आयोजित का आयोजन किया गया।
प्रारम्भ में संस्था के अध्यक्ष इंजी पुरुषोत्तम पालीवाल ने अतिथियों का स्वागत कर उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखते हुए बताया कि चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक उपलब्धि प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व की बात है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के पास अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक मजबूत और महत्वाकांक्षी रोडमैप है। उनकी भविष्य की योजनाओं से मानव जाति के जीवन को आसान बनाने में मदद करेगी।
इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया उदयपुर लोकल सेंटर के मानद सचिव इंजीनियर पीयूष जावेरिया ने इसरो की भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना को शीघ्र प्रारम्भ होने की कामना की जिससे भारत उन गिने चुने देशों में से एक बन जाएगा जो अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानवीय उपस्थिति बनाए रखने में सक्षम हैं।
मुख्य अतिथि का नीलेश एम देसाई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक एवं निदेशक अंतरिक्ष उपयोग केंद्र इसरो अहमदाबाद ने चंद्रयान 3 मिशन की अभूतपूर्व सफलता पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा चंद्रयान 3 ने न केवल भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बनाया बल्कि इसने हमारी तकनीकी क्षमताओं और वैज्ञानिक दृढ़ता को भी साबित किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सफलता सिर्फ एक अंत नहीं बल्कि भविष्य के और भी बड़े मिशनों के लिए एक मजबूत नींव है। उन्होंने बताया कि आज सेटेलाइट की मदद से मौसम की सटीक जानकारी से मानव जीवन बचाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुआ है अब तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आगाह कर सुरक्षित जगह पर भेजा जाता है जिससे पहले जैसी मानव क्षति नहीं होती।
श्री देसाई ने भविष्य के मिशनों का खाका प्रस्तुत किया जिसमें गगनयान मिशन पर विशेष जोर दिया गया। उन्होंने बताया कि गगनयान भारत की पहली स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान पहल है जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के लिए तकनीकी विकास और परीक्षण पूरे हो चुके हैं और जल्द ही मानव रहित और मानव युक्त उड़ानें शुरू की जाएंगी। उन्होंने प्रक्षेपण यान, उपग्रह संचार के लिए नेविगेशन जैसे इसरो के कार्यों पर प्रकाश डाला।उन्होंने लैंडिंग में सहायक सभी महत्वपूर्ण सेंसरों के बारे में बताया जिन्हें प्रसंस्करण के साथ अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र ( सैक) अहमदाबाद में विकसित किया गया है।उन्होंने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य.1 मिशन इसके प्रक्षेपण के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष जोखिम भरा व्यवसाय है और सरकार इस क्षेत्र में निजी भागीदारी से कार्य करने का प्रयास कर रही है। भविष्य के मिशनों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि चंद्रयान 4 और इसका संचालन जापान और भारत के संयुक्त सहयोग से किया जाएगा। उन्होंने भविष्य के गगनयान मिशन और डेटा रिले ट्रांसपोंडर के बारे में जानकारी दी और गगनयान ऑपरेशन के दौरान 100 प्रतिशत संचार कैसे प्राप्त किया जा क सकता है पर अपने विचार रखे। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चिप निर्माण के लिए नाविक प्रणाली और 28 मिमी सेमीकंडक्टर फाउंड्री के बारे में बताया।  
डॉ हर्ष सेठ वैज्ञानिक अंतरिक्ष उपयोग केंद्र इसरो अहमदाबाद ने इसरो के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों पर बात की। उन्होंने कहा कि इसरो का उद्देश्य केवल अन्वेषण तक सीमित नहीं है बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग आम आदमी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी करना है। उन्होंने संचार मौसम पूर्वानुमान और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में इसरो के उपग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने नाविक नामक नेविगेशन सिस्टम के बारे में बताया यह सिस्टम इसरो के अन्दर ही बताया गया है। अभी इस का उपयोग सेना और रेलवे में किया जा रहा है यह 20 मीटर के रेंज में काम करता है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि इसरो में बीटेक, पीएचडी विद्यार्थियों का चयन प्रति वर्ष किया जाता है भर्ती के लिए  आरसीबी कॉमन टेस्ट देना पड़ता हैं ।

 


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