उदयपुर: पारस हेल्थ उदयपुर ने लोगों से कहा है कि वे ज्यादा सतर्क रहें और बचाव के उपाय अपनाएँ, क्योंकि राजस्थान मानसून के सबसे जोखिम वाले समय में प्रवेश कर रहा है। हालांकि पिछले सालों की तुलना में मच्छर से फैलने वाली बीमारियाँ कम हुई हैं, लेकिन डॉक्टर चेतावनी देते हुए कहते हैं कि डेंगू और मलेरिया अभी भी मौसमी खतरा हैं, खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए ये बीमारिया घातक साबित हो सकती हैं। राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस साल अब तक राज्य में 385 डेंगू के केस दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा पिछले पांच सालों की तुलना में काफी कम हैं। अच्छी बात यह है कि अब तक कोई मौत नहीं हुई है। हालांकि मानसून के शुरू होने के बाद नई चिंता पैदा हो गई है। 30 जुलाई से 8 अगस्त के बीच राज्य में 73 नए डेंगू केस सामने आए। उदयपुर उन जिलों में शामिल था जहाँ ये केस पाए गए। इस दौरान उदयपुर, जयपुर, अजमेर, कोटा, झुंझुनू और कोटपुतली से लगभग दस मरीज रिपोर्ट हुए। हालांकि केस अब भी कम हैं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी चेतावनी देते हैं कि अगर मच्छर का प्रजनन नहीं रोका गया तो छोटे मच्छरों का समूह भी तेजी से बढ़ सकता हैं। मलेरिया भी मानसून में बढ़ता हुआ दिख रहा है। जून के अंत तक राजस्थान में इस साल 263 मलेरिया के केस दर्ज हुए। यह नंबर 2024 में 2,213 मामलों की तुलना में बहुत कम हैं। हालांकि पारस हेल्थ उदयपुर के डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि लापरवाही बरती गई तो नंबर बढ़ भी सकते हैं। उदयपुर अभी भी बारिश के मौसम में मलेरिया के हाई रिस्क वाले जिलों में शामिल है। नगर निगम की टीमें पहले ही मच्छर के लार्वा को मारने का छिड़काव और घर-घर जागरूकता अभियान चला रही हैं, ताकि मलेरिया के फैलाव को रोका जा सके। पारस हेल्थ उदयपुर के एक्सपर्ट्स के अनुसार शहर में बुखार के केसों में डेंगू और मलेरिया के सामान्य लक्षण दिख रहे हैं, जैसे तेज बुखार, लगातार उल्टी, दाने और थकान आदि। उन्होंने बताया कि बच्चों की हालत जल्दी बिगड़ती है, जबकि कमजोर इम्युनिटी वाले बुज़ुर्ग या पहले से बीमार लोगों में खतरा ज्यादा है। हॉस्पिटल ने मानसून बुखार प्रोटोकॉल लागू किया है। इस प्रोटोकॉल में तेज़ जांच, प्लेटलेट मॉनिटरिंग और बच्चों और बुज़ुर्ग मरीजों के लिए अलग लेन शामिल हैं, ताकि समय पर इलाज दिया जा सके। हॉस्पिटल के डॉक्टर बताते हैं कि इन बीमारियों के लिए रोकथाम सबसे असरदार तरीका है। हर बारिश के बाद जमा पानी साफ करें, टैंकों और बर्तनों को ढकें, मच्छर भगाने वाली दवा और जाल का उपयोग करें, और अगर बुखार 24 से 48 घंटे से ज्यादा रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। पारस हेल्थ उदयपुर ने खुद से दवा लेने से बचने की चेतावनी दी है और जोर दिया है कि जल्दी जांच कराने से मामूली बीमारी को जानलेवा हालत में बदलने से रोका जा सकता है। अधिकारियों का कहना हैं कि राजस्थान में डेंगू और मलेरिया का बोझ फिलहाल नियंत्रण में है। लेकिन पारस हेल्थ उदयपुर ने चेतावनी दी है कि भारी बारिश के ठीक बाद वाले हफ्ते इन बीमारियों के फैलने के लिए सबसे जोखिम भरे होते हैं। अस्पताल ने समुदाय से सहयोग और सतर्कता बढ़ाने का आह्वान किया है और याद दिलाया कि अगर बचाव के उपाय न अपनाए जाएँ तो मामले तेजी से बढ़ सकते हैं।