आदिवासी क्षेत्र में डॉ. मृदुला देवी ने किया कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centre - CHC) का उद्घाटन: आदिवासी महिलाएं होंगी आत्मनिर्भर

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Published on : 30 Aug, 25 07:08

आदिवासी क्षेत्र में डॉ. मृदुला देवी ने किया कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centre - CHC) का उद्घाटन: आदिवासी महिलाएं होंगी आत्मनिर्भर

उदयपुरमहाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,उदयपुर एवंभा.कृ.अनु.परि.-केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर के संयुक्त तत्वाधान में झाडोल तहसील के दो गांवोंतूरगढ़ एवं थाडीवेरी में SCSP प्रोजेक्ट के तहत तीन कस्टम हायरिंग सेंटरों का उद्घाटन दिनांक 28 अगस्त 2025 को किया गया। उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. मृदुला देवी, निदेशक, केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर, ओडिशा, डॉ धृति सोलंकी, अधिष्ठाता, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान  महाविद्यालय, उदयपुर, डॉ सुभाष मीणा, प्रोफेसर, मृदा विज्ञान एवं राजश्री उपाध्याय, प्रोफ़ेसर, प्रसार शिक्षा एवं संचार प्रबंधन द्वारा किया गया।उद्घाटन समारोह में झाडोल व फलासिया के आसपास के क्षेत्रों के लगभग 7 से 10 गाँव सेमली, भामटी, देवडावास, सेमारी, बिछीवाड़ा,तूरगढ़, थाडीवेरी एवं पानरवा आदि के लगभग 550 महिलाओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम की अगुवाई करते हुए डॉ. विशाखा बंसल परियोजना प्रभारी एवं इकाई समन्वयक, अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना उदयपुर केंद्र द्वारा बताया गया कि SCSP प्रोजेक्ट में विगत 2 वर्षो में गाँव की साढ़े पांच सौ महिला लाभार्थियों को छोटे-छोटे कृषि एवं पशुपालन से संबंधित उपकरण वितरित किये गये जिसमें पौधों को पानी पिलाने के लिए केन (40),फसलों में से कचरा एकत्रित करने के लिए विडर (2), तिरपाल (80), दवाई छांटने के स्प्रेयर पंप (25), बहु उपयोगी केरेट(40), अनाज भंडारण कोठियाँ (40), दूध की कोठीयाँ (40), वर्मी बेड (40), दरांती(34), अजोला बेड (20) बाल्टियाँ(40) एवं खुरपी (20) शामिल है। अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना, भुवनेश्वर द्वारा संचालित उदयपुर केंद्र द्वारा पूर्व में झाडोल गाँव में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के 5 सिस्टम लगवाए गए । वहीँ उदयपुर के आस-पास के गाँवों जैसे मदार, लोयरा, ब्राह्मणों की हुन्दर, फेनियों का गुडा, थूर एवं गुडली में सोलर कुकर (20), सोलर लाइट (20),उन्नत कोठियां (100) एवं मशरूम के 30 बेग आदि वितरित कर कई परिवार लाभान्वित हुए। निरंतर 2 वर्ष तक “हर घर सब्जी हर घर पोषण अभियान” के अंतर्गत साल में तीन बार 500 सब्जियों के पैकेट, जिसमें 10 प्रकार की सब्जियाँ शामिल थी, वितरित किए गए। लगभग 40 वर्मी बेड स्थापित किए गए ।

कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण कस्टम हायरिंग सेंटर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए स्थापित किये गए एवं मशीनें जैसे राइस मील,(2), दाल मील(1), सोलर ड्रायर (2),फ्लोरमील (1), पशुओं के लिए कुट्टी बनाने की तीन मशीनें,बगीचें में घास काटने कीदो मशीने एवं सिलाई मशीन (40) एवं थ्रेशर(2)तीनो ही केंद्र पर रखवायेँ गए हैं।

डॉ धृति सोलंकी, अधिष्ठाता, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने बताया कि देश की वर्तमान परिस्थितियों एवं भारतीय सामाजिक संरचना को देखते हुए यह नितांत आवश्यक हो गया है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बने। परिवार में पुरुष एवं महिलायें सदियों से साथ मिलकर काम करते आ रहे हैं यदि महिलायें स्वरोजगार की ओर अग्रसर होगी तो न केवल परिवार बल्कि राष्ट्र भी सशक्त होगा बनेगा।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ मृदुला देवी, निदेशक, केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान, आई.सी.अए. आर.- सी. वा. भुवनेश्वर द्वारा गाँव में स्थापित तीनो कस्टम हायरिंग सेन्टर चामुन्डा माता, लीलाधर महादेव  एवं कमलनाथ तीनो कृषक समान रूचि समूहों के अध्यक्षों के साथ मिलकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर  करके उद्घाटन किया। गाँव में स्थापित किये गए 5 रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिटों का उद्घाटन भी माननीय मुख्य अतिथि महोदया द्वारा किया गया। महिलाओं को स्वरोजगार में दक्षता हासिल करके आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक किया गया। महिलाओं की रुचि को देखते हुए आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम करवाए जाएंगे ऐसा विश्वास दिलाया गया। कार्यक्रम के दौरान निदेशक महोदय ने डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक, माननीय कुलगुरु, म.प्र.कृ.प्रौ.वि. द्वारा प्रदान किये जा रहे सतत सहयोग के लिए विशेष आभार व्यक्त किया साथ ही उन्होंने डॉ. अरविन्द वर्मा, निदेशक, अनुसंधान निदेशालय, म.प्र.कृ.प्रौ.वि. का निरंतर सहयोग के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। चामुन्डा माता सी.एच.सी.पर सभी महिलाओं को सिलाई मशीन चलाता देख एवं दाल चक्की, आटा चक्की का निरीक्षण कर उनके कार्य को निदेशक महोदया ने सराहा। उन्होंने बताया कि महिलाओं को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित करने से उन्हें स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं। कुछ कौशल जिनमें प्रशिक्षण दिया जा सकता है जैसे: सिलाई और कपड़ा डिजाइनिंग, कुकिंग और बेकिंग, कंप्यूटर और आईटी कौशल एवं  हस्तशिल्प और कला आदि। महिलाओं को व्यवसायिक मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करने से उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चलाने में मदद मिल सकती है। अपने उत्पादों और सेवाओं को बाजार में पहुंचाने और विपणन करने में मदद करने से उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के बाजारों में पहुंच बनाने से महिलाओं को अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद मिल सकती हैउद्घाटन समारोह के दौरान डॉ. मृदुला देवी, मुख्य अतिथि  महोदया ने तीन लघु पुस्तिकाओं “कृषक समुदाय हेतु श्रम साध्य उपकरणों की लघु पुस्तिका - जनजाति उप परियोजना अंतर्गत, वर्ष 2025-26 एवं जन्म के 6 वर्ष (0 से 6 वर्ष) - आहार से शिक्षा तक, श्री अन्न चीना एवं कांगनी के स्वास्थ्य वर्धक गुण एवं व्यंजन एवं 2 फोल्डर का विमोचन किया गया। तदुपरांत राष्ट्रीय कृषि विकास परियोजना अंतर्गत कृषि विभाग, जयपुर के तहत झाडोल के स्वयं सहायता समूह की महिलालाभार्थियों को मशरूम बेग, वर्मीकंपोस्ट एवं सिरोही प्रजाति के तीन बकरे वितरित किए गए।

डॉ. सुभाष मीणा, प्रोफेसर, मृदा विज्ञान ने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वयं का स्वरोजगार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और ऋण प्रदान करके व्यवसाय को शुरू करने में मदद मिल सकती है।साथ ही ये भी बताया कि महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने और समर्थन प्रदान करने से उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक बढाने में निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी ।

प्रो.उपाध्याय ने कहा कि एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होगा, सुदृढ़ होगा उन्होंने बताया कि कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान होने से आर्थिक विकास निश्चित रूप से होता है ।कृषि के साथ अन्य विधाओं में कौशल विकास से महिलाएं जीविकोपार्जन करने में सक्षम होती है।

कार्यक्रम को सफल बनाने एवं निरंतर सहयोग प्रदान करने हेतु गांव के सक्रिय कार्यकर्ता श्री हीरालाल पटेल एवं श्री नानालाल झाबला का अभिनंदन व सम्मान किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विशाखा सिंह, प्राचार्य, खाद एवं पोषण द्वारा किया गया ।कार्यक्रम का मीडिया कवरेज डॉ. कुसुम शर्मा, यंग प्रोफेशनल द्वारा किया गया ।कार्यक्रम में परियोजना की पूरी टीम डॉ.सुमित्रा मीणा,वैज्ञानिक, खाद एवं पोषण, डॉ. वंदना जोशी,डॉ. स्नेहा जैन, अनुष्का तिवारी, विकास परमार एवं सुजल डामोर, अमृता जैन,रमेश डांगी, अमित सेन एवं ओम प्रकाश मीणा ने मिलकर सहयोग प्रदान किया।


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