बच्चों के व्यवहार में आए बदलाव पर रखें अभिभावक नजर, सतर्कता से बच सकता है बचपन- डॉ. पण्ड्या 

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Published on : 28 Aug, 25 16:08

जिम ट्रेनर द्वारा किए गए अमानवीय कृत्य की घटना में दर्ज प्राथमिकी में अन्य महत्वपूर्ण धाराओ को जोड़ने की आवश्यकता- डॉ. पण्ड्या 

बच्चों के व्यवहार में आए बदलाव पर रखें अभिभावक नजर, सतर्कता से बच सकता है बचपन- डॉ. पण्ड्या 

उदयपुर शहर में 13 वर्षीय छात्रा के साथ जिम ट्रेनर द्वारा किए गए अमानवीय कृत्य की घटना ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। इस गंभीर मामले में दर्ज पुलिस प्राथमिकी में परिवारजन, बाल कल्याण समिति एवं संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर ज्ञात हुआ कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 64(1) एवं 62 के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 4 एवं 5 लगाई गई है जो प्रवेशन लैंगिक हमले में प्रयुक्त होती है l जबकि मामले की जानकारी के बाद इसमें पॉक्सो एक्ट की धाराएँ 5(F), 6, 9, 10, 11, 13 के साथ आई. टी एक्ट की धारा 67(B) अंतर्गत प्रकरण दर्ज करने की माँग के साथ आज बाल अधिकार विशेषज्ञ एवं पूर्व सदस्य राजस्थान बाल आयोग, राजस्थान सरकार डॉ. शैलेंद्र पण्ड्या ने पुलिस महानिदेशक, राजस्थान पुलिस को पत्र लिखा l 


डॉ. पंड्या का मानना है कि यह घटना भले ही उदयपुर वासियों के लिए चौंकाने वाली हो, परंतु प्रदेशभर में आए दिन ऐसी अमानवीय घटनाएँ हो रही हैं – कहीं 5 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म, तो कहीं घर-परिवार, पड़ोसी, विद्यालय या कोचिंग संस्थान तक बच्चों के लिए असुरक्षित साबित हो रहे हैं।एसी स्थिति में पुलिस एवं प्रशासन तो सतर्कता के साथ प्रयासरत है परंतु हर एक आम नागरिक को भी सतर्क होना होगा l अभिभावकों के लिए कुछ ज़रूरी ध्यान देने योग्य बाते है जिन्हें ध्यान में रखकर वे किसी बचपन को सुरक्षित कर सकते है:-

1. बच्चों से संवाद बनाएँ – रोज़ सोने से पहले बच्चे से दिनभर की गतिविधि शांति से सुनें। उन्हें भरोसा दें कि वे बिना डाँट-फटकार अपनी हर बात आपके सामने रख सकते हैं।
2. व्यवहार में बदलाव पर ध्यान दें – कम बोलना, अकेले रहना, चिड़चिड़ापन, रोना, अचानक डरना या खाने-पीने की आदत में बदलाव को नज़रअंदाज़ न करें।
3. शारीरिक संकेतों पर सतर्क रहें – शरीर पर खरोंच, चोट, प्राइवेट पार्ट्स में दर्द, सूजन, खुजली, बार-बार पेशाब में तकलीफ आदि गंभीर संकेत हो सकते हैं।
4. “गुड टच” और “बैड टच” सिखाएँ – बच्चों को सुरक्षित और असुरक्षित स्पर्श की सही जानकारी दें ताकि वे समय रहते पहचान सकें।
5. शंका की स्थिति में प्यार से पूछें – बच्चे पर दबाव न डालें, धैर्य से सुनें। गंभीर स्थिति में तुरंत 1098 (चाइल्ड हेल्पलाइन) या पुलिस से संपर्क करें।

पॉक्सो एक्ट के प्रावधान सख्त हैं – इस कानून के तहत न केवल दुष्कर्म बल्कि हर प्रकार की छेड़छाड़ व उत्पीड़न पर कड़ी कार्रवाई होती है और बच्चों की पहचान पूरी तरह गोपनीय रखी जाती है साथ ही रिपोर्टिंग अनिवार्य है l यदि किसी को बच्चों से जुड़े अपराध की जानकारी है और वह रिपोर्ट नहीं करता तो उसके खिलाफ भी सजा का प्रावधान है।

उदयपुर की घटना समाज के लिए चेतावनी है कि केवल कानून ही नहीं बल्कि हमारी जागरूकता और सतर्कता ही बच्चों को सुरक्षित बचपन दे सकती है।सावधान रहें, सतर्क रहें – आपकी जागरूकता किसी बचपन को बचा सकती है।


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