“बच्चों से मित्रता करें और संस्कार का पाठ सिखाएँ” – डॉ. सूरज सिंह नेगी

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Published on : 25 Aug, 25 15:08

“बच्चों से मित्रता करें और संस्कार का पाठ सिखाएँ” – डॉ. सूरज सिंह नेगी

उदयपुर सलिला संस्था सलूंबर एवं राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर संभाग में आयोजित 16वाँ राष्ट्रीय बाल साहित्यकार सम्मेलन साहित्यिक ऊष्मा और भावपूर्ण संवाद के साथ संपन्न हुआ। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता राजस्थान के वरिष्ठ साहित्यकार, आईएएस अधिकारी एवं पाती लेखन मुहिम के प्रणेता डॉ. सूरज सिंह नेगी ने की।


अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. नेगी ने आज की पीढ़ी के सामने उपस्थित गंभीर संकट को रेखांकित करते हुए कहा – “सोशल मीडिया के प्रभाव में बच्चे मोबाइल के गुलाम होते जा रहे हैं। उन्हें आदर्श उदाहरणों की आवश्यकता है। हमें चाहिए कि हम बच्चों को मोबाइल की जकड़न से निकालकर लेखन, वाचन और वाचन की ओर प्रेरित करें। बच्चों से मित्रता करें और उन्हें संस्कार का पाठ सिखाएँ। इस कार्य में बाल साहित्य की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. संजीव कुमार, अध्यक्ष इंडिया नेटबुक्स, ने सुझाव दिया कि परिवार अपने वार्षिक बजट में पुस्तक-क्रय हेतु विशेष निधि अवश्य निर्धारित करें, ताकि पुस्तकों को घर-घर तक पहुँचाया जा सके।

इस अवसर पर मीनू त्रिपाठी एवं जीशान हैदर जैदी को साहित्य रत्न सम्मान से विभूषित किया गया। सत्र का संचालन विमला नागला ने किया।

बाल गीत प्रतियोगिता के टॉप-10 विजेताओं में से उपस्थित यशवंत कुमार शर्मा (पहुंना), डॉ. फहीम अहमद (संभल), नीलम मुकेश वर्मा (झुंझुनू), अनीता गंगाधर शर्मा (अजमेर), बलवीर सिंह (सिरसा) तथा नीरज शास्त्री (मथुरा) आदि को शॉल, माला, प्रतीक-चिह्न एवं मानधन अर्पित कर सम्मानित किया गया। अंत में शिव नारायण आगाल ने आभार ज्ञापित किया।

पुस्तक समीक्षा सत्र की अध्यक्षता डॉ. फहीम अहमद ने की। उन्होंने परिवार की भूमिका को रेखांकित किया और अपनी दो बाल कविताएँ प्रस्तुत कीं। मुख्य अतिथि चक्रधर शुक्ल (कानपुर) ने पुस्तक “गीत सुहाने बचपन के” की समीक्षा प्रस्तुत की। विशिष्ट अतिथि शिवमोहन यादव (नई दिल्ली) ने “पहेली विधा का जादू” विषय पर पत्रवाचन किया और प्रकाश तातेड़ की पुस्तक “बूझ सहेली, मेरी पहेली” की विशेषताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. सरिता गुप्ता (दिल्ली) ने मधु माहेश्वरी की पुस्तक “भावों की सरिता” पर अपने विचार रखे। वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश पंचाल (डूंगरपुर) ने विमला भंडारी की पुस्तक “6 अंकों का जादू” की समीक्षा करते हुए इसे पिनकोड सीखने में अत्यंत उपयोगी बताया। इस सत्र का संचालन गीतकार शकुंतला सरूपरिया ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन धर्मेश शर्मा ने दिया।

बाल काव्य संगोष्ठी की अध्यक्षता कर्नल प्रवीण त्रिपाठी ने की। मुख्य अतिथि लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, विशिष्ट अतिथि नंदकिशोर निर्झर एवं किरण बाला किरण रहे।

मीडिया प्रभारी प्रो. विमल शर्मा ने बताया कि संगोष्ठी की शुरुआत प्रांशु नामधर की प्रस्तुति से हुई, जिसमें रामधारी सिंह दिनकर की “रश्मिरथी” तथा महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत का सस्वर वाचन किया गया। इसके पश्चात् श्याम मठपाल, प्रकाश तातेड़, मनीला पोरवाल, पूनम भू, हेमलता दाधीच, सुनीता बिश्नोई, सपना जैन शाह, बलबीर सिंह, गंगाधर शर्मा, यशपाल शर्मा, चक्रधर शुक्ल, सरिता गुप्ता, पाखी जैन, स्नेहलता भंडारी, मंगल कुमार जैन, वीणा गौड़ आदि रचनाकारों ने अपनी विविध, मनोरंजक एवं रोचक बाल कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

समापन सत्र में संस्था की अध्यक्ष डॉ. विमला भंडारी ने इस आयोजन को एक नया कीर्तिमान बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित सात राज्यों तथा राजस्थान के दस जिलों से साहित्यकारों एवं प्रतिभागियों की सक्रिय उपस्थिति ने इस सम्मेलन को अभूतपूर्व सफलता प्रदान की।

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, और वातावरण में साहित्यिक गरिमा व सांस्कृतिक गौरव की सुगंध व्याप्त हो गई।

 


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