एपेक्स यूनिवर्सिटी में “भारतीय संविधान में वर्तमान विकास” पर विशेष सत्र

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Published on : 23 Aug, 25 14:08

एपेक्स यूनिवर्सिटी में “भारतीय संविधान में वर्तमान विकास” पर विशेष सत्र

जयपुर, एपेक्स यूनिवर्सिटी अपने विद्यार्थियों को अद्यतन विधिक ज्ञान से अवगत कराने के उद्देश्य से लगातार शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन करती रही है। इसी श्रृंखला में आगामी सोमवार, 25 अगस्त 2025 को विश्वविद्यालय में एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसका विषय है “भारतीय संविधान में वर्तमान विकास”। यह सत्र सुबह 11:00 बजे से प्रारंभ होगा और इसमें देश के प्रतिष्ठित विधि विशेषज्ञ प्रो. आनंद पालीवाल, डीन, विधि संकाय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

सत्र का उद्देश्य

इस विशेष सत्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों, शोधार्थियों एवं विधि के विद्यार्थियों को भारतीय संविधान में हो रहे नवीनतम संशोधनों, न्यायालयीन निर्णयों तथा विधिक प्रावधानों में आए परिवर्तनों की जानकारी देना है। संविधान में समय-समय पर किए गए बदलाव न केवल विधि प्रणाली को प्रभावित करते हैं, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। इस सत्र के माध्यम से प्रतिभागी संवैधानिक प्रावधानों की व्यावहारिक समझ विकसित कर सकेंगे।

मुख्य वक्ता का परिचय

प्रो. आनंद पालीवाल विधि शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उन्हें भारतीय विधिक प्रणाली, संविधान संशोधन और न्यायशास्त्र पर गहन शोध का अनुभव है। उनके मार्गदर्शन में अनेक शोधार्थियों ने संवैधानिक और न्यायिक विषयों पर शोध किया है। वे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में अपने विचार प्रस्तुत कर चुके हैं और विधि के छात्रों को व्यवहारिक एवं सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

कार्यक्रम की विशेषताएं

भारतीय संविधान में हालिया संशोधन एवं उनका प्रभाव

न्यायालयीन फैसलों द्वारा संविधान की व्याख्या

भविष्य के संभावित विधिक सुधारों की रूपरेखा

विद्यार्थियों के प्रश्नों के उत्तर एवं संवाद सत्र


आयोजन का महत्व

एपेक्स यूनिवर्सिटी का मानना है कि संविधान को समझना केवल विधि के छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए आवश्यक है। इस प्रकार के सत्र न केवल शैक्षणिक दृष्टि से उपयोगी होते हैं बल्कि छात्रों में विधिक जागरूकता और नेतृत्व क्षमता भी विकसित करते हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी विद्यार्थियों, शोधार्थियों, संकाय सदस्यों एवं विधि में रुचि रखने वाले व्यक्तियों से इस सत्र में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है।


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