उदयपुर। पर्वाधिराज पर्युषण के दूसरे दिन सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में शास्त्र कल्पसूत्र बौराये गए और प्रवचन हुए। कल्पवृक्ष मांगने पर मिलता है लेकिन कल्पसूत्र बिना मांगे मिलता है। साध्वी विरलप्रभा श्रीजी की पावन निश्रा में साध्वी कृतार्थ प्रभा श्रीजी ने कहा कि साधु जहां रहते हैं वहाँ मंगल की इच्छा करते हैं।
प्रतिक्रमण आवश्यक रूप से करना चाहिए। प्रथम तीर्थंकर के समय साधुओं को जानना मुश्किल था। साधु संतों को वहां लाना चाहिए जहां कीचड़ न हो, ठहरने की व्यवस्था हो, अनाज आदि हो, पठन पाठन की सुविधा हो। जिन शासन की प्रभावना करता हुआ कल्पसूत्र को सुनें तो मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। सभी को संवत्सरी का प्रतिक्रमण करना चाहिए। सुपात्र को दान देना, चौत्य परिपाटी निभाना आदि से भी परमात्मा की ओर बढ़ते हैं।
साध्वी विपुलप्रभा श्रीजी ने कहा कि बारसा सूत्र पूर्ण प्राकृत भाषा में है। कल्प सुनते समय कर्म बांधते हैं और कल्प उतारते समय कर्मों की निर्जरा होती है।
सह संयोजक दलपत दोशी ने बताया कि शुक्रवार से शास्त्र कल्पसूत्र के प्रवचन आरम्भ हुए जो पर्युषण के शेष पांचों दिन चलेंगे, साथ ही बारसा सूत्र के भी प्रवचन होंगे।