उदयपुर । पारस हेल्थ उदयपुर में कार्यरत डॉ तरुण माथुर द्वारा बार-बार स्ट्रोक (लकवे) का शिकार हो रहे एक 68 वर्षीय मरीज़ का सफल इलाज़ किया गया। इलाज की इस प्रक्रिया में दोनों कैरोटिड धमनियों में स्टेंट लगाया गया। यह अत्याधुनिक न्यूरो-इंटरवेंशनल प्रक्रिया मस्तिष्क में खून का प्रवाह बहाल करती है और भविष्य में स्ट्रोक होने के ख़तरे को कम करती है। मरीज़ को पिछले कुछ समय से कमजोरी और बोलने में कठिनाई हो रही थी और दौरे आ रहे थे। हालांकि मरीज की दवा हो रही थी। जाँच करने पर पता चला कि मरीज के दोनों कैरोटिड धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज है। इसी वजह से मस्तिष्क में खून नहीं पहुंच पा रहा था क्योंकि यही मस्तिष्क में खून पहुँचाने वाली मुख्य धमनियाँ होती हैं। डॉ. तरुण माथुर, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया, "ऐसे हाई रिस्क वाले केसों में केवल दवाओं से इलाज नहीं हो पाता है। दोनों धमनियों में स्टेंट लगाकर हम ब्लॉकेज को बिना ओपन सर्जरी के सही किया। हमने केवल एक छोटे से चीरे के माध्यम से ब्लॉकेज को खत्म किया और खून के प्रवाह को सक्षम बनाया। इससे दोबारा स्ट्रोक होने का खतरा काफी कम हो जाता है।" यह प्रक्रिया एडवांस्ड एम्बोलिक प्रोटेक्शन डिवाइस की मदद से की गई। यह डिवाइस स्टेंट डालते समय किसी भी थक्के या प्लाक को मस्तिष्क में जाने से रोकते हैं। इस प्रक्रिया के बाद मरीज़ के स्वास्थ्य में काफ़ी अच्छा सुधार देखने को मिला और उन्हें 48 घंटे में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। कैरोटिड आर्टरी स्टेंटिंग का उपयोग उन मरीज़ों में किया जाता है, जिनमें गंभीर कैरोटिड ब्लॉकेज हो, बार-बार लक्षण आ रहे हों या जो सर्जरी के लिए हाई रिस्क वाले हों। यह सफलता दर्शाती है कि समय पर जाँच और आधुनिक इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी तकनीकों से स्ट्रोक से होने वाली विकलांगता को रोका जा सकता है।