उदयपुर। पर्वाधिराज पर्युषण के पहले दिन सूरजपोल स्थित दादाबाड़ी में साध्वी विरलप्रभा श्रीजी, साध्वी विपुलप्रभा श्रीजी और साध्वी कृतार्थप्रभा श्रीजी की पावन निश्रा में आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण के कार्यक्रम आरम्भ हुए।
धर्मसभा में साध्वी विरलप्रभा श्रीजी ने कहा कि वर्ष में एक बार यह महापर्व बिन बुलाए भी आ ही जाता है। 8 दिन में वो सब करना है जो अब तक चातुर्मास आरम्भ से नही किया हो। ज्ञानी भगवंत कहते हैं कि इसका कितना महत्व है। लौकिक और लोकोत्तर दो तरह के पर्व होते हैं। ये लोकोत्तर पर्व है। न कोई लोभ, लालच। ये आत्मिक शुद्धि के लिए आया है। प्रमाद के बाद इन 8 दिन में तो धर्म लाभ ही लेना है। मानों तो हर महीने में कई पर्व हैं। ये त्याग, आराधना और साधना का पर्व है।
उन्होंने कहा कि प्रतिदिन संकल्प करना है कि आज 8, 11 सामायिक करूँगा। कर्मों की निर्जरा करनी है बंधन नही करना है। आज अष्टालिका में 6 तरह की अट्ठाइ होती है। इस दौरान हरी वनस्पति, ड्राई फ्रूट का त्याग करना है। ब्रह्मचर्य पालन करना है। गर्म पानी का पाइन में उपयोग करूँगा। हर कार्य ध्यान पूर्वक करना है। अहिंसा का पालन करना है। पूरे दिन पच्चखान लेना है। खाना खाने से पूर्व 3 बार नवकार मंत्र का जप करना है। सब काम जैना पूर्वक करना है। अहिंसा में रहना है। किसी का दिल दुखाने जैसा बोलना नाही है। मारना ही हिंसा नहीं है। अपनी आत्मा की 8 दिन में आलोचना करनी है।
साध्वी विपुलप्रभा श्रीजी ने कहा कि ब्रेड खाने में भी जीव हिंसा हो रही है। इन 8 दिन में बासी रोटी नाही खाने, सुबह का दूध नहीं पीने का संकल्प करना है। अनावश्यक हिंसा नहीं करनी है। घर की सफाई एक बार कर लोगे लेकिन आत्मा की सफाई कब करोगे यह पर्व उसी के लिए आया है। सह संयोजक दलपत दोशी ने बताया कि पर्वाधिराज पर्युषण के कार्यक्रमों में श्रावक-श्राविका धर्म लाभ ले रहे हैं। प्रतिदिन व्याख्यान हो रहे हैं।