पापों का प्रायश्चित है प्रतिक्रमण-डॉ.सोजतिया

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Published on : 21 Aug, 25 00:08

पर्युषण पर्व पर प्रतिक्रमण का विशेष महत्व

पापों का प्रायश्चित है प्रतिक्रमण-डॉ.सोजतिया

उदयपुर। जैन श्वेताम्बर समुदाय का पर्युषण पर्व इस वर्ष 20 अगस्त से 27 अगस्त तक श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इन आठ दिनों के दौरान प्रतिदिन प्रातःकालीन और सायंकालीन धार्मिक क्रियाओं का आयोजन होता है, जिनमें सायंकालीन प्रतिक्रमण का विशेष महत्व माना गया है।

डॉ. महेन्द्र सोजतिया ने बताया कि प्रतिक्रमण आत्मा को अशुभ भावों से हटाकर शुभ भावों की ओर अग्रसर करने की साधना है। इसके अंतर्गत साधक अपने द्वारा अतीत में किए गए पापों की आलोचना करता है और यह संकल्प लेता है कि भविष्य में ऐसे कार्यों की पुनरावृत्ति नहीं करेगा। चाहे पाप जानबूझकर किए गए हों या अनजाने में, प्रतिक्रमण उन्हें स्वीकार कर उनका प्रायश्चित करने की प्रक्रिया है।

साधु-साध्वी के सान्निध्य में प्रतिक्रमण का महत्व

डॉ. सोजतिया ने कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान आठों दिन यथासंभव साधु-साध्वीजी के सान्निध्य में प्रतिक्रमण करना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो डिजिटल माध्यम से भी इसका लाभ लिया जा सकता है।

डिजिटल और लाइव प्रसारण की सुविधा

उन्होंने बताया कि संपूर्ण विधि सहित प्रतिक्रमण यूट्यूब चैनल – ‘जैन प्रतिक्रमण-डॉ. महेन्द्र सोजतिया’ पर उपलब्ध है। इसके साथ ही प्रतिक्रमण का सीधा प्रसारण डेन मेवाड़ 151, उदयपुर न्यूज इन केबल 258, न्यूज 91 सहित विभिन्न शहरों के चैनलों पर भी देखा जा सकेगा।

इस प्रकार प्रतिक्रमण न केवल पापों के प्रायश्चित की साधना है, बल्कि आत्मा को शुद्ध और निर्मल बनाने का मार्ग भी है।


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