सम्पूर्ण संस्कृति संस्कृत में निहित – सत्यनारायण भट्ट 

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Published on : 20 Aug, 25 02:08

भारत विवादों का नहीं, संवाद का देश है - महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी।

सम्पूर्ण संस्कृति संस्कृत में निहित – सत्यनारायण भट्ट 

उदयपुर, संपूर्ण संस्कृति संस्कृत की देन है और संपूर्ण संस्कृति संस्कृत में ही निहित है। यह बात संस्कृत भारती, उदयपुर के तत्वावधान में श्रावण पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय महामंत्री सत्यनारायण भट्ट ने कही। उन्होंने कहा कि जैसे इम्यूनिटी शक्ति रहते हुए शरीर में रोग प्रवेश नहीं कर सकता, वैसे ही संस्कृत रहते हुए भारत में कोई अवरोध पैदा नहीं हो सकता। भारत की आत्मा संस्कृत है। भारत के नव निर्माण के लिए संस्कृत भाषा का व्यवहारिक जीवन में अपनाया जाना अनिवार्य है। 

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ व पेसिफिक विश्वविद्यालय उदयपुर वंडर सीमेंट मिराज ग्रुप के सहयोग से आयोजित समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और वैदिक श्लोक “दीपप्रज्वालनम् शुभं करोति कल्याणम्…” के साथ हुआ। मंगलाचरण डॉ. भगवती शंकर व्यास, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी ने प्रस्तुत किया। 

समारोह में अतिथि उदयपुर रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत आज केवल पौराणिक भाषा न रहकर व्यवहारिक रूप से अपनाई जानी चाहिए। उन्होंने संस्कृत को दुनिया की "रिचार्ज भाषा" बताते हुए कहा कि इसमें करुणा और गुण रहस्य दोनों समाहित हैं। 

समारोह में महामण्डलेश्वर उत्तम स्वामी महाराज का भी सान्निध्य रहा। उन्होंने कहा कि संस्कार सनातन के गूढ़ संबंध हैं। भारत विवादों का नहीं, संवाद का देश है और संस्कार की एक मात्र भाषा संस्कृत है। संस्कृत में ऐसा कोई शब्द नहीं जो मंत्र न हो। यह गौरवमयी भाषा 864 भाषाओं की जननी है। विश्व में संस्कृत की चाह निरंतर बढ़ रही है और यदि पूरे देश में इसकी यात्रा नहीं भी हो पा रही है तो कम से कम मेवाड़ में इसके प्रचार-प्रसार का संकल्प अवश्य होना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के अविस्मरणीय योगदान को भी याद किया।

उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा ने संस्कृत भाषा को जनभाषा बनाने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि छात्र जितना संस्कृत सीखेंगे, उतना ही संस्कारित होंगे। इसी भाव से राष्ट्र संस्कारित और विश्व विजेता बनेगा।

राजस्थान सरकार के जनजातीय क्षेत्रीय विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने में शिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत को प्रमुख स्थान दिया गया है, जिससे विद्यार्थियों को इस भाषा से गहरा जुड़ाव होगा और राष्ट्र के सांस्कृतिक आधार को मजबूती मिलेगी।

समारोह  में राजसमंद विधायक दिप्ती माहेश्वरी ने भी विजेता छात्राओं को शुभकामना प्रेषित की।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने में संस्कृत का महत्वपूर्ण योगदान है। जनमानस में चेतना जागरण संस्कृत से ही संभव है। संस्कृत प्रेम, राष्ट्र प्रेम का द्योतक है और यह भाषा परिष्कृत व वैज्ञानिक स्वरूप के साथ-साथ मोक्ष की मूल आधारभूत भाषा है। उन्होंने कहा कि हम विश्वगुरु अपने संस्कारों और सभ्यता से बने हैं। इस अवसर पर विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने भी विजेता प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भी अपने संबोधन में संस्कृत को राष्ट्र की आत्मा और सांस्कृतिक धरोहर बताया।

 

इस अवसर पर संस्कृति गौरव सम्मान से राजेंद्र सिंह चारण, देवेंद्र सिंह राठौड़, दिनेश भट्ट, युवराज सिंह राठौड़ को सम्मानित किया गया।

 वहीं, महर्षि पाणिनी पुरस्कार से डॉ. निलेश जैन, खिलावन सिंह, आयुष भोजक, यश्वी पगारिया, मौलिक पगारिया, ईशान्वी पारख, सिद्धार्थ धन्धारा, लक्षित चौधरी, आरव शर्मा, सकीना हीता, रिद्धिमा सुराना, प्रतिष्ठा खण्डेलवाल, दिविशा गुप्ता, अर्श गांधी, अनन्या अग्रवाल, मान्यता आशीष कुमावत, चिरायु मित्तल, लावण्या मेहरोत्रा, गीतिका चारण को पुरस्कृत किया गया।

श्लोक आधारित चित्रकला प्रतियोगिता और श्लोक पाठ प्रतियोगिता के कनिष्ठ एवं वरिष्ठ वर्ग के विजेताओं को भी अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। इस दौरान सीडलिंग मॉडर्न स्कूल की ओर से संस्कृत समूह गीत की प्रभावशाली प्रस्तुति दी गई।

 

इससे पूर्व, आरंभ में ध्येय मंत्र का वाचन संस्कृत भारती उदयपुर की महानगर प्रचार प्रमुख रेखा सिसोदिया ने किया। तत्पश्चात् प्रांत संपर्क प्रमुख डॉ. यज्ञ आमेटा ने अतिथियों का परिचय स्वागत किया।

संचालन विभाग सह संयोजक नरेंद्र शर्मा ने किया, श्रेयांश कंसारा ने मधुर गीत प्रस्तुत कर वातावरण को संस्कृतिमय बनाया। विभाग संयोजक दुष्यंत नागदा द्वारा ध्यानवाद और मंगल जैन द्वारा कल्याण मंत्र के साथ समारोह का मंगल समापन हुआ। 


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