जयपुर, अपेक्स यूनिवर्सिटी, जयपुर में नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 के छात्रों के स्वागत के लिए आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम "उड़ान-2025" का शुभारंभ सोमवार को धूमधाम से हुआ। ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक तिलक से स्वागत के बीच करीब 3000 नए छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया और विश्वविद्यालय जीवन की अपनी नई यात्रा की शुरुआत की। कार्यक्रम में छात्रों ने भारतीय लोकगीतों से लेकर बॉलीवुड संगीत तक परफॉर्मेंस का लुत्फ उठाया। पूरे परिसर में उत्साह, उमंग और "वन्स मोर... वन्स मोर..." की गूंज थी। रंगारंग प्रस्तुतियों से सजी इस शाम में छात्रों के चेहरे उत्साह और उम्मीद से चमकते नजर आए। "उड़ान-2025" में शामिल होने वाले स्टूडेंट्स के चेहरों पर कॉलेज के पहले दिन की ख़ुशी की झलक साफ देखी जा सकती थी।
मुख्य आकर्षण रहे ग्लोबल मोटिवेशनल स्पीकर हर्षवर्धन, जिन्होंने सफलता के सात सूत्र दिये। उन्होंने कहा कि बड़े लक्ष्य बनाओ और लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने आप को खपा दो। संकट के समय पर ही पॉजिटिव एटिट्यूड की परीक्षा होती है। अपने जीवन का सम्पूर्ण नियंत्रण आपके हाथ में होना चाहिए। हमें केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए अपने जीवन को समर्पित करना चाहिए। शरीर मज़बूत और मन कोमल हो तो स्वस्थ जीवन नींव बनती है। यूनिवर्सिटी चेयरपर्सन डॉ. रवि जूनीवाल ने छात्रों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की शुभकामनाएं दीं, उन्होंने कहा कि आत्म विश्वास से भरकर आप जो भी करेंगे उसमें आपकी सफलता निश्चित है।
वहीं वाइस चांसलर डॉ. सोमदेव शतांशु ने अपने संबोधन में कहा की “शारीरिक बल और मानसिक बल ज्ञान के माध्यम से बढ़ाए जा सकते हैं”और चिंतन कर पाने की क्षमता ही हमें मनुष्य बनाती है।” उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं बल्कि चरित्र निर्माण का आधार है। नैतिक मूल्यों और भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठ परंपराओं को अपनाकर ही जीवन में सच्ची सफलता हासिल की जा सकती है। विश्वविद्यालय के सलाहकार प्रो. ओ.पी. छंगाणी ने कहा कि अपेक्स यूनिवर्सिटी निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में उच्च मापदंड स्थापित कर रही है और छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रही है। डायरेक्टर वेदांशु जूनीवाल ने कहा कि अपेक्स यूनिवर्सिटी का चुनाव करने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को बेहतर वातावरण और अवसर उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है। रजिस्ट्रार डॉ. पंकज कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालय के 60 वर्षों की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला और अनुशासन को शिक्षा का मूल स्तंभ बताया।