श्रील प्रभुपाद का जीवन सनातन धर्म ओर संस्कृति हेतु प्रेरक
बांसवाड़ा।
भगवान् योगेश्वर श्रीकृष्ण जगद्गुरू हैं क्योंकि उनकी प्रत्येक लीला, प्रत्येक कर्म इस जगत को कुछ न कुछ प्रेरणा प्रदान करता है।
उक्त विचार इस्कॉन केन्द्र बांसवाड़ा के पृथ्वी क्लब सभागार में आयोजित आचार्य अभिनंदन निमाई प्रभु और अभय गौरांग दास प्रभु ने व्यक्त किए ओर इसके साथ ही दो
नंदोत्सव,शील प्रभुपाद जयंती
दो दिवसीय महा महोत्सव के रूप में सम्पन्न हुआ।
आचार्य द्वय ने धार्मिक समारोह में कहा कि भगवान् योगेश्वर श्रीकृष्ण का जन्म मनुष्य को कुछ सिखाता है तो उनका परम धाम गमन भी मनुष्य को कुछ सीख देता है।
उनका बचपन एक सीख से भरा है तो उनका यौवन भी अनेक सीखों से भरा है।
श्रीकृष्ण के सत्य में ही सीख नहीं होती है अपितु जब वो असत्य का आश्रय लेते हैं तो उसमें भी किसी का हित और कोई सार छुपा होता है।
इस अवसर पर इस्कॉन संस्थापक श्रील प्रभुपाद जी जोकि भारतीय होकर विश्व भर में भगवान् योगेश्वर श्रीकृष्ण ओर सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक चिन्तन को विश्व भर में पहुंचाया श्रील प्रभुपाद एक आदर्श एवं जगद्गुरू रुप में इस समाज में प्रतिष्ठित हैं।
साधिका रचना व्यास ने बताया कि इससे पूर्व सभी साधकों ने पंच गव्य से, पंचामृत,ग्यारह फलों के रस से,नारियल पानी से भगवान् योगेश्वर श्री कृष्ण को वैष्णव मंत्रों से अभिषेक किया ।
वहीं विभिन्न द्रव्यों अबीर गुलाल इत्र चन्दन सहित विशिष्ठ सुगन्धित द्रव्यों से भगवान् योगेश्वर श्री कृष्ण निकुंज को श्रृंगारित दिव्य आत्मा दास प्रभु ने दिव्य पुष्पों से किया गया।
इस अवसर पर समारोह में कृष्ण लीलाओं पर भक्त प्रह्लाद की भक्ति और नृसिंह अवतार का चित्रण करते हुए प्रश्नोत्तरी आयोजित कर विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
इस अवसर पर भगवान् योगेश्वर श्री कृष्ण को भक्ति साधना युक्त होकर 56 भोग उज्जैन से पधारे साधक ने लगा कर आरोगना गाया गया और तुलसी ,नृसिंह आरती विधान से रिझाया गया।
अन्त में सभी ने महा महोत्सव का समापन महा प्रसाद से हुआ ।