उदयपुर / नैतिकता और मानवीय मूल्य न केवल व्यक्ति के जीवन को बेहतरीन बनाते है वरन सामाजिक स्तर पर भी अपना गहरा प्रभाव डालते है। इन मूल्यों को भावी पीढ़ी में बिजारोपित करने में परिवार के साथ साथ विद्या मंदिरों का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जिनमंे शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से संस्कारों, परंपराओं के संवहन के दायित्व को निभा रहे है।
उक्त विचार मंगलवार को राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीतियों के माध्यम से जो जिन विचारों पर वर्तमान में कार्य करवाए जा रहे है उस सोच के साथ संस्थापक जनुभाई ने प्रारंभ से ही विद्यापीठ के माध्यम से सामाजिक सरोकारों और वंचितों को शिक्षा के कार्य करवाए है। उन्होंने कहा कि ंस्थापक मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर के अनुसार राष्ट्र निर्माण के जिम्मेदार शिक्षकों को मानते हुए वे चाहते थे कि यहॉ से शिक्षा ग्रहण कर लोकमान्य शिक्षक तैयार हों, जो सभी को मान्य हो इसी सोच को ध्यान में रखते हुए 1966 में 80 विधार्थियों के साथ लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना की, जहॉ वर्तमान में 2500 विधार्थी प्रतिवर्ष प्रशिक्षण लेकर इस महाविद्यालय से निकल कर अपने जीवन के पथ की नयी शुरूआत कर रहे हैं और शत प्रतिशत विधार्थी सरकारी या गैर सरकारी उद्यमों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एवं कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने स्थापना दिवस की बधाई देते हुए संस्थान की प्रगति और संघर्ष में संस्थापक कार्यकर्ताओं के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने वर्तमान में शैक्षिक और व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा के बीच मूल्यों और मानकों को बनाए रखते हुए शिक्षा के लिये संस्थान द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर भी विचार रखे।
पुस्तक का हुआ विमोचन:-
समारोह में अतिथियों द्वारा डॉ. रचना राठौर और डॉ. इंदु बाला आचार्य द्वारा भौतिक विज्ञान शिक्षण पर लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया।
प्रारंभ मेें महाविद्यालय की प्राचार्या प्रा़े. सरोज गर्ग ने अतिथियों का स्वागत करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में विगत 59 वर्षों से अनवरत कार्यरत संस्थान की विकास यात्रा और गुणवत्तापूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए भावी योजनाओं तथा चुनौतियों पर विचार रखे।
इस मौके पर डॉ. बलिदान जैन, डॉ. रचना राठौड़, डॉ अमी राठौड़, डॉ. बी एल श्रीमाली, डॉ. अमिया गोस्वामी, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, डॉ. अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. हिम्मत सिंह चूंडावत, डॉ. सुभाष पुरोहित, डॉ. पुनीत पांडेय, डॉ. हरीश मेनारिया, डॉ. अमित दवे, डॉ. सरिता मेनारिया, डॉ. इंदू बाला आचार्य सहित महाविद्यालय के अकादमिक, गैर अकादमिक कार्यकर्ता व विद्यार्थी उपस्थित थे।
संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया जबकि आभार डॉ. रचना राठौड़ जताया।