हिरोशिमा नगर की त्रासदी: विश्व शांति का संदेश देती है

( 2242 बार पढ़ी गयी)
Published on : 04 Aug, 25 10:08

हिरोशिमा नगर की त्रासदी: विश्व शांति का संदेश देती है

उदयपुर। तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान के निदेशक एवं ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. जी.एल. मेनारिया ने हिरोशिमा दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि हिरोशिमा और नागासाकी जैसे औद्योगिक नगरों की विनाशलीला आज भी मानवता को झकझोर देती है। यह त्रासदी केवल दो शहरों का नहीं, बल्कि समूचे मानव इतिहास का काला अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

डॉ. मेनारिया ने कहा कि आज भी विश्व बारूद के ढेर पर बैठा है। 6 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम ने एक क्षण में समृद्ध शहर को खंडहर में बदल दिया। बम का गुप्त नाम "लिटिल बॉय" था, जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल के नाम पर रखा गया था। इसके तीन दिन बाद, 9 अगस्त को नागासाकी पर दूसरा बम गिराया गया जिसका नाम "फैटमैन" था, जो अमेरिकी राष्ट्रपति एफ.डी. रूजवेल्ट के नाम पर था।

डॉ. मेनारिया ने परमाणु बम के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि इसका विचार सबसे पहले महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने दिया था। 2 अगस्त 1939 को उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट को पत्र लिखा, जिसे "अंतरात्मा का पत्र" कहा जाता है। इसी पत्र के आधार पर अमेरिका ने पहला परमाणु बम बनाया।

संगोष्ठी में विचार व्यक्त करने वाले प्रमुख वक्ता थे:
भीण्डर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य इतिहासकार डॉ. जे.के. ओझा, ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के सचिव डॉ. अजातशत्रु सिंह चावर्टी, तक्षशिला विद्यापीठ की प्राचार्य डॉ. मीनाक्षी मेनारिया, राजस्थान राज्य प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, उदयपुर के डॉ. राजेन्द्रनाथ पुरोहित, डॉ. जी.पी. सिंघल, डॉ. नीतू मेनारिया, डॉ. रामसिंह आदि।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज भटनागर ने किया और अंत में आभार गुणवन्त सिंह देवड़ा द्वारा व्यक्त किया गया।

यह संगोष्ठी न केवल ऐतिहासिक तथ्यों का पुनरावलोकन थी, बल्कि यह शांति, मानवता और विश्व एकता का सशक्त संदेश भी थी।


साभार :


© CopyRight Pressnote.in | A Avid Web Solutions Venture.