भारत अपनी सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर के कारण दुनिया के प्रमुख पर्यटन देशों में अपनी पहचान बनाता है। यहां के हर राज्य की अलौकिक और विलक्षण विशिष्टताएं हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। भारत दर्शन की इच्छा रखने वाले पर्यटकों के लिए विभिन्न परिवहन साधनों में भारतीय रेल आज सर्वाधिक सुरक्षित, अधिक सहज सुलभ, सस्ता, आरामदेह, प्रदूषण मुक्त, समय की बचत के साथ तीव्रगामी माध्यम बन गया है। तकनीकी और आधुनिकता के समावेश ने भारतीय रेल पर्यटन की संभावनाओं को नये पंख लगाये हैं। तकनीकी के विकास की वजह से वर्तमान में 160 किमी रफ्तार से चलने वाली रेलगाड़ियां, अत्यंत आधुनिक सुविधाओं युक्त तेजस जैसी रेलों, अकल्पनीय विस्टाडोम कोच, डबल डेकर ट्रेन, पर्यटन में शाही सुख प्रदान करने वाली विशेष शाही पर्यटन रेलें आज पर्यटकों के आकर्षण की धुरी बन गए हैं। विकसित रेल सुविधाओं ने ऐसे पर्यटकों के लिए भारत-यात्रा का विशेष आकर्षण पैदा किया है जो शांत, जादुई सौंदर्य और रोमांच की तलाश में पर्यटन पर जाना चाहते हैं।
पर्यटकों को रेल से यात्रा के दौरान रेलगाड़ी की खिड़कियों से नजर आते घने जंगलों और घाटियों के सुंदर नजारें, कभी पहाड़ के समीप से गुजरने के तो कभी गहन गहरी घाटियों के बीच के दृश्य, भौगोलिक स्वरूप, भूमि का श्रृंगार, जंगल और वनों का सौन्दर्य, वनस्पति जगत, नदियां, रेल मार्ग में आने वाले खूबसूरत घुमाव, सुरंगें, विशाल पुल और सूर्याेदय और सूर्यास्त के चित्ताकर्षक दृश्य आदि देखने का भरपूर आंनद प्राप्त होता है। विभिन्न प्रांतों के सह यात्रियों की वेशभूषा, बोली,खानपान, व्यवहार, आपसी संवाद ,जरूरत के समय एक दूसरे का सहयोग आदि से भारतीय संस्कृति को देखने - समझने का अवसर भी प्राप्त होता है। रेल से पर्यटन पर जाने की यही सबसे बड़ी खूबी है कि पर्यटकों को सम्पूर्ण भारत को समझने का सुअवसर प्राप्त होता है। शायद इसीलिए महात्मा गांधी जी ने रेल को मिनी भारत कहा था। यह रेलें ही हैं जो सही अर्थों में पर्यटकों के वास्तविक भारत दर्शन के सपनों को साकार करती हैं। भारत भर में भ्रमण और अपनी अक्षत जिज्ञासा और अखंड पिपासा के साथ भारत को यहां से वहां तक घूमकर देखने के इच्छुक पर्यटकों के लिए रेल एक बेहतर विकल्प है।
पर्यटकों की विविध सुविधाओं के निरन्तर विस्तार से भारतीय रेल देश के पर्यटन विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा कर लोकप्रिय बन रही है। रेलवे के विशाल तंत्र से भारत के सभी प्रमुख पर्यटन स्थल रेल सेवा से सीधे जुड़े हैं। देश के महानगरों में काफी दूरी पर स्थित पर्यटन स्थलों तक सेवाएं सुलभ कराने में उपनगरीय रेल और मेट्रो रेल भी भरपूर योगदान कर रही हैं। इन शहरों में पर्यटन स्थलों को बसों, टैक्सी, केब आदि से देखना अत्यंत उबाऊ और थकान देह होने के साथ-साथ अधिक खर्चीला है और समय भी बहुत जाया होता हैं। इनसे होने वाले खर्च और समय को मेट्रो ने कई गुणा कम कर पर्यटक स्थलों तक पहुंचने की राह को सुगम बना दिया है।
प्रस्तुत पुस्तक इसी पृष्ठभूमि भूमि का साकार रूप है। पुस्तक इतनी सरल शैली में रेल पर्यटन का इतिहास एवं वर्तमान स्थितियों को प्रस्तुत करती है कि पाठक को ऐसा लगता है मानो वह लेखक के साथ - साथ यात्रा कर रहा है। पुस्तक में 9 अध्यायों के माध्यम से पर्यटन की दिशा में नए प्रयास - रेलवे की भावी परियोजनाएं, पर्यटक सुविधाओं के विस्तार के लिए आईंआरसीटीसी के नवाचार,पर्यटन के आकर्षक पैकेज, रोचक तथ्य और सैलानियों का सपना- खूबसूरत ट्रेन यात्राएँ , पर्यटन स्थलों को जोड़ते उपनगरीय और मेट्रो रेल, पर्यटन स्थलों के समीप ले जाती रेलवे जैसे विषयों को लिया गया है। साथ ही कोहिनूर टाय ट्रेन, खूबसूरत रेलवे स्टेशन और आकर्षक रेल संग्रहालय पुस्तक की विशेषता हैं। रेल यात्रा से पर्यटन की ओर आदि लेखों में रेल के इतिहास, वर्तमान एवं भविष्य से जुड़े तथ्यों का प्रभावी, तथ्यपरक, रोचक, वर्णन करते हुए भारतीय रेल के पल-पल परिवर्तित, नित नूतन, बहुआयामी और इन्द्रजाल की हद तक चमत्कारी यथार्थ से साक्षात्कार कराया है।
‘भारतीय दर्शन को सुगम बनाती रेल" पुस्तक एक ऐसा गुलदस्ता जिसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के पुष्प सुसज्जित हैं। किसी फूल में कश्मीर की लालिमा है तो किसी में प्रकृति का जादू। कोई फूल पंजाब की कली संजोए हैं, तो किसी में तमिलनाडु की किसी श्यामा का तरन्नुम। उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और अन्य प्रदेशों को एक साथ देखना हो तो रेल से दोस्ती कर लें और अकेली इस पुस्तक पढ़ डालिए। पर्यटन और भारत भ्रमण में रेल की दृष्टि से एक विलक्षण पुस्तक है।
लेखक अपने लेखकीय में लिखते हैं, " पर्यटन पर जाना हर व्यक्ति की ख्वाईश होती है। रेल परिवहन अन्य साधनों की तुलना में अधिक विश्वसनीय, सुरक्षित, सबसे सस्ता, विस्तृत, अधिकतर सर्वत्र उपलब्ध, तीव्र और लोकप्रिय माध्यम है। यात्रा के दौरान देखने को मिलते हैं भारत भूमि के खूबसूरत नजारे, ग्रामीण और शहरी परिवेश, खेत खलियान, जंगल, रमणिक घाटियां, पहाड़, नदियां, समुद्र और दूर-दूर तक बिखरे प्रकृति के रोमांचक दृश्य। महात्मा गांधी जी ने पैसेंजर रेल को मिनी भारत की संज्ञा दी थी। रेल सफर के दौरान हमें देश के विभिन्न प्रांतों के लोग, उनकी भाषा, पहनावा और संस्कृति को देखने एवं समझने का अच्छा अवसर मिलता है। पर्यटन उद्योग में रेलवे बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ट्रेन यात्रा के रोमांच को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। ट्रेन सुविधाओं और रोमांच ने विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित किया है। वे अक्सर पैलेस ऑन व्हील्स, दार्जलिंग टाय ट्रेन, कालका - शिमला ट्रेन, द फेरी कवीन जैसी ट्रेनों की सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक भारतीय पर्यटन के सन्दर्भ में रेल की भूमिका और उपयोगिता को लेकर लिखी गई है। भारतीय रेल के बिना पर्यटन की कल्पना ही अधूरी है।"
पुस्तक का आवरण विषयानुरूप लुभाता है। पुस्तक में कई स्थानों पर चित्रों का उपयोग पुस्तक की रोचकता और पाठक की जिज्ञासा को बढ़ाते हैं।
पुस्तक के लेखक राजस्थान में कोटा निवासी डॉ. प्रभात कुमार सिंघल गम्भीर जन सम्पर्क कर्मी, पत्रकार और स्तम्भकार हैं जबकि श्री अनुज कुमार कुच्छल रेलवे इंजीनियर, साहित्यकार और पर्यटन प्रेमी हैं। दोनों ही ऐसे यायावरी पुरुष हैं जिन्होंने भारत दर्शन के लिए कई यात्राएं साथ - साथ की। उन्होंने पाया कि सभी परिवहन माध्यमों में रेल सुगम और आरामदेह यात्रा का सबसे बेहतर विकल्प है। इसी वजह से उन्होंने अनुभूत अनुभवों को शामिल करते हुए अपने पर्यटन-वृतांत को रेल सन्दर्भ में न केवल रोचक बल्कि तथ्यपरक भी बनाया है। उम्मीद करता हूं कि यह पुस्तक पर्यटन और पर्यटकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
पेपर बैक / पृष्ट 143
ISBN-13: 978-93-91462-30-7
समीक्षक
ललित गर्ग
जानेमाने लेखक, पत्रकार,स्तम्भकार
नई दिल्ली