उदयपुर 3 अगस्त आयुर्वेद विभाग उदयपुर एवं आरोग्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में आज से 4 अगस्त 2025 से 8 अगस्त 2025 तक राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय, सिन्धी बाजार, उदयपुर में 44वां निशुल्क पंचकर्म चिकित्सा शिविर आयोजित किया जा रहा है। यह शिविर आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा पद्धति पंचकर्म का विशेष आयोजन है, जिसका उद्देश्य वात दोष से उत्पन्न रोगों का प्राकृतिक उपचार कर स्वस्थ जीवन प्रदान करना है।
इस शिविर में विशेष रूप से वात रोगों के लिए बस्ति चिकित्सा दी जाएगी, जिसे पंचकर्म का हृदय माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार वर्षा ऋतु में वात दोष अधिक सक्रिय होता है और इसी समय बस्ति चिकित्सा करवाना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस विधि से गठिया, आमवात, साइटिका, कमर और जोड़ दर्द, स्नायु विकार जैसे कई पुराने रोगों में राहत मिलती है। शिविर में अनुभवी चिकित्सकों की टीम के निर्देशन में रोगियों की जांच, परामर्श और चिकित्सा दी जाएगी।
अग्निकर्म चिकित्सा शिविर 7 अगस्त को :
7 अगस्त को इस शिविर के अंतर्गत अग्निकर्म चिकित्सा का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र सिंह हाडा द्वारा अग्निकर्म चिकित्सा प्रदान की जाएगी। अग्निकर्म एक पारंपरिक आयुर्वेदिक पद्धति है, जो पुराने और कठिन वातजन्य रोगों में विशेष प्रभावी मानी जाती है।
स्वर्ण प्राशन शिविर: बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए विशेष शिविर
पंचकर्म शिविर के पूर्व दिवस रविवार को राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय में स्वर्ण प्राशन शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 6 माह से 16 वर्ष तक के बच्चों को आयुर्वेदिक स्वर्ण प्राशन की खुराक दी गई, जो बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक विकास में सहायक मानी जाती है। इस पारंपरिक आयुर्वेदिक संस्कार में माता-पिता की भी विशेष भागीदारी रही और उन्होंने अपने बच्चों को स्वस्थ रखने के प्रति जागरूकता दिखाई।
आयुर्वेद विभाग एवं आरोग्य समिति पिछले कई वर्षों से स्वर्ण प्राशन महाभियान चला रही है, जिसके तहत अब तक 4 लाख से अधिक बच्चों को निशुल्क स्वर्ण प्राशन की दवा दी जा चुकी है। यह महाभियान बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को सुदृढ़ करने, स्मरण शक्ति बढ़ाने, मानसिक विकास को प्रोत्साहित करने तथा बाल्यावस्था के दौरान विभिन्न संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से संचालित है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, स्वर्ण प्राशन न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि बच्चों के संज्ञानात्मक विकास और मानसिक स्थिरता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पंचकर्म और बस्ति चिकित्सा का महत्व
आयुर्वेद में पंचकर्म चिकित्सा को शरीर की गहन सफाई और रोगों से मुक्ति का श्रेष्ठ उपाय माना जाता है। बस्ति चिकित्सा इसके महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जिसमें औषधीय द्रव्यों को विशेष तकनीक से शरीर में प्रवेश कराया जाता है ताकि वात दोष का संतुलन स्थापित हो सके। यह चिकित्सा गठिया, आमवात, साइटिका, पक्षाघात, कमर और जोड़ों के दर्द तथा स्नायु विकारों में आश्चर्यजनक रूप से लाभदायक होती है।
वर्षा ऋतु में वात दोष स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है, जिसके कारण वातजन्य रोगों का प्रकोप अधिक होता है। इसी कारण इस समय बस्ति चिकित्सा करवाना अत्यंत लाभकारी रहता है। यह शरीर में जमा दोषों को बाहर निकालने के साथ-साथ स्नायु प्रणाली को सशक्त बनाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
शिविर की सुविधाएँ और सावधानियाँ
शिविर में रोगियों को निःशुल्क प्रारंभिक जांच, रोग के अनुसार औषधि चयन, विशेषज्ञ परामर्श, आहार-व्यवहार संबंधी मार्गदर्शन, महिला रोगियों के लिए विशेष परामर्श, तथा उपचार के बाद पुनः जांच की सुविधा दी जाएगी। शिविर में पंजीकरण अनिवार्य है और गंभीर रोग या संक्रामक बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। गर्भवती महिलाएं, अत्यधिक दुर्बल रोगी तथा रक्तस्राव संबंधी विकारों से पीड़ित मरीजों को बस्ति चिकित्सा नहीं दी जाएगी।
डॉ. शोभालाल औदिच्य ने कहा कि पंचकर्म चिकित्सा केवल रोग निवारण का उपाय नहीं, बल्कि यह सम्पूर्ण शरीर और मन को पुनः स्वस्थ बनाने की एक समग्र चिकित्सा पद्धति है। उन्होंने कहा कि आम नागरिक रोगी इस निशुल्क शिविर का लाभ अवश्य उठाएं और आयुर्वेद के वैज्ञानिक उपचार से स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।
शिविर का समय प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक होगा, स्थान राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय, सिन्धी बाजार, उदयपुर।